Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है अपना सहयोग हमारे इस खाते में जमा करने का कष्ट करें | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

अर्थ के भी महत्व, समझ आने लगे हैं,

अर्थ के भी महत्व, समझ आने लगे हैं,

न दिया तो रूठकर, अपने जाने लगे हैं।
दे दिया गर सारा, बिसरा दिये जाओगे,
ऐसे क़िस्से भी, ज़माने में आने लगे हैं।


देख कर रंग, ख़रबूज़ा रंग बदलता है,
ऐसा मुहावरा सदियों से यहाँ चलता है।
माना कि यह प्रवृत्ति, अभी थोड़ी कम है,
कौन जाने किसको देख कौन ढलता है।


जो समर्थ सक्षम हैं, वहीं प्रवृत्ति ज़्यादा है,
औक़ात से ज़्यादा, दिखाने की इरादा है।
ग़रीबी में आज भी, एक छत में सब रहते,
एक दूजे के सुख दुःख सामूहिक लबादा है।

अ कीर्ति वर्द्धन
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ