अर्थ के भी महत्व, समझ आने लगे हैं,
न दिया तो रूठकर, अपने जाने लगे हैं।दे दिया गर सारा, बिसरा दिये जाओगे,
ऐसे क़िस्से भी, ज़माने में आने लगे हैं।
देख कर रंग, ख़रबूज़ा रंग बदलता है,
ऐसा मुहावरा सदियों से यहाँ चलता है।
माना कि यह प्रवृत्ति, अभी थोड़ी कम है,
कौन जाने किसको देख कौन ढलता है।
जो समर्थ सक्षम हैं, वहीं प्रवृत्ति ज़्यादा है,
औक़ात से ज़्यादा, दिखाने की इरादा है।
ग़रीबी में आज भी, एक छत में सब रहते,
एक दूजे के सुख दुःख सामूहिक लबादा है।
अ कीर्ति वर्द्धन
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag
0 टिप्पणियाँ
दिव्य रश्मि की खबरों को प्राप्त करने के लिए हमारे खबरों को लाइक ओर पोर्टल को सब्सक्राइब करना ना भूले| दिव्य रश्मि समाचार यूट्यूब पर हमारे चैनल Divya Rashmi News को लाईक करें |
खबरों के लिए एवं जुड़ने के लिए सम्पर्क करें contact@divyarashmi.com