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कल के चलते...

कल के चलते...

जिंदगी गुजर गई
कल के इंतजार में।
पर आज तक तो
कल आया ही नहीं।
दुनियाँ के इतिहास में
कल कभी आया नहीं।
क्योंकि कल किसी के
जीवन में आयेगा ही नहीं।।


कल के चक्कर में न जाने
कितने काल को प्यारे हो गये।
बने बनाये काम भी कल के
कारण ही असफल हो गये।
इतिहास के पन्नो को पलटे तो
उनमें कल कभी आया ही नहीं।
इसलिए कल को भूलकर
आज के दौर को ही जीओं।।


कल के चलते बहुत सारे
देवी देवता और योध्दा भी।
कल के जाल में फस गये थे
और नेक काम करना छोड़ दिये।
रावण ने भी तो नरक के द्वार
कल के कारण बंद नहीं किये।
जो आज तक खुले हुए है
और स्वर्ग के द्वार बंद पड़े है।।


इस युग में कितने ज्ञानी और
तपस्वी साधु संत भी है।
जो इतनी साधना और
परोपकारी होकर भी।
स्वर्ग में अपनी जगह
पक्की नहीं कर पा रहे है।
और ये सब कल के कारण
ही आज में हो रहा है।।


जय जिनेंद्रसंजय जैन "बीना" मुंबई
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