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सत्त्वप्रधान गतिविधियां और विचार सकारात्मक स्पंदन प्रक्षेपित करते हैं ! - शोध का निष्कर्ष

‘महर्षि अध्यात्म विश्‍वविद्यालय’ की ओर से बेंगळुरू की राष्ट्रीय परिषद में 100 वां शोध निबंध प्रस्तुत किया गया !
सत्त्वप्रधान गतिविधियां और विचार सकारात्मक स्पंदन प्रक्षेपित करते हैं ! - शोध का निष्कर्ष


कला, संगीत, अन्न, पेय, धार्मिक चिन्ह और स्मारक आदि से प्रक्षेपित होनेवाले सकारात्मक अथवा नकारात्मक स्पंदनों के परिणाम सभी पर होते हैं । इसके अनुसार हमारी गतिविधियां और विचार सत्त्वप्रधान होते हैं, तब उसमें से सकारात्मक स्पंदन प्रक्षेपित होते हैं, ऐसा निष्कर्ष ‘महर्षि अध्यात्म विश्‍वविद्यालय’ की ओर सेे श्री. शॉन क्लार्क ने शोधनिबंध प्रस्तुत करते हुए बताया । वह बेंगळुरू में ‘नाद वेद अध्यात्म केंद्र (एनव्हीएके) अँड व्हेव्ह्स’ द्वारा आयोजित ‘कम्पिटिंग प्रॅक्टीसेस ऑफ धर्म अ‍ॅण्ड अधर्म : सक्सेस अ‍ॅण्ड कॉन्सिक्वन्सेस ऑफ देअर वोटरीस इन वेदा अँड लेटर’ परिषद में बोल रहे थे । श्री. शॉन क्लार्क ने ‘दैनंदिन जीवन में धर्म अथवा अधर्म का चुनाव कैसे करें’ विषय पर शोधनिबंध प्रस्तुत किया । महर्षि अध्यात्म विश्‍वविद्यालय के संस्थापक सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले इस शोधनिबंध के लेखक हैं तथा श्री. शॉन क्लार्क सहलेखक हैं ।

श्री. शॉन क्लार्क ने इस समय महर्षि अध्यात्म विश्‍वविद्यालय द्वारा ‘युनिव्हर्सल ऑरा स्कॅनर’ (यु.ए.एस.) तथा ‘पॉलिकॉन्ट्रास्ट इंटरफिअरन्स फोटोग्राफी’ (पिप) उपरकरणों का उपयोग और आध्यात्मिक स्तर पर किए सूक्ष्म-परिक्षण द्वारा किए अभ्यास के आधार पर शोध प्रस्तुत किया ।

इस समय शोध के लिए एक प्रसिद्ध चित्रकार द्वारा बनाया गया देवी का विकृत चित्र, एक बाजार में उपलब्ध चित्र और एक संतों के मार्गदर्शन में बनाया चित्र; ऐसे तीन चित्रों का चयन किया गया । ऊपर के उपकरणों के द्वारा शोध करने पर प्रसिद्ध चित्रकार ने बनाए देवी के विकृत चित्र से नकारात्मक स्पंदन प्रक्षेपित होते हुए ध्यान में आए, बाजार में उपलब्ध चित्रों में सकारात्मक अथवा नकारात्मक इनमें से कोई भी स्पंदन ध्यान में नहीं आए । इसके विपरीत संतों के मार्गदर्शन में बनाए, श्रीलक्ष्मीतत्त्व सर्वाधिक प्रमाण में आकर्षित करने की क्षमता वाले चित्र से अधिकाधिक सकारात्मक स्पंदन प्रक्षेपित हो रहे थे, ऐसे दिखाई दिया ।

इस प्रकार कपडों के रंग के विषय में भी शोध किया गया । इसमें काले और श्‍वेत रंग के कपडों का ऊपर के उपकरणों की सहायता से परिक्षण किया गया । इसमें श्‍वेत रंग के कपडों की सकारात्मक ऊर्जा का प्रभामंडल 18.75 मीटर दिखाई दिया और काले रंग के कपडों में सकारात्मक ऊर्जा का प्रभामंडल नहीं है, ऐसे दिखाई दिया । इसके साथ श्री. क्लार्क ने अन्न, पेय और मनोरंजन के संदर्भ में किए प्रयोग के भी निष्कर्ष बताए । इन सभी घटकों का हमारे दैनंदिन जीवन में होने वाले परिणाम और मिलनेवाली सकारात्मक ऊर्जा के विषय में भी विस्तार से जानकारी दी ।
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