पटना के राजकीय तिब्बी कॉलेज एवं अस्पताल का मामला- घोटाले में निलंबित प्राचार्य मामलों को रफा-दफा कराने में जुटे लोग
पटना से दिव्य रश्मि संवाददाता जितेन्द्र कुमार सिन्हा की खास खबर |
पटना के राजकीय तिब्बी कॉलेज एवं अस्पताल में कई प्रकार के घोटाले और वित्तीय अनियमितता में निलंबन की कार्रवाई झेल रहे तत्कालीन प्राचार्य डॉ. तबरेज अख्तर पर कार्रवाई की मांग तेज हो गई है। कॉलेज सूत्रों का कहना है कि अब वे फिर से खुद को निर्दोष साबित कर अस्पताल में प्राचार्य पद पर काबिज होना चाहते हैं, जबकि जांच में उनपर लगे आरोप सही पाए गए हैं और इसी आधार पर उन्हें प्राचार्य पद से निलंबित भी किया गया था।
उल्लेखनीय है कि, तत्कालीन प्राचार्य डॉ. तबरेज अख्तर अपनी कंपनी बनने से पहले ही, दवा, अपने ही अस्पताल में सप्लाई करने, पत्नी के नाम की गाड़ी चलवाकर कॉलेज से राशि वसूलने, के साथ साथ कई आरोपों में कार्रवाई की जद में है और डॉ. तबरेज अख्तर अब फिर से प्राचार्य बनने का सपना देखने लगे हैं।
सूत्रों की माने तो, उनके कार्यकाल में मरीजों के लिए आई 50 लाख की दवा एक्सपायर कर गई थी, जबकि इसे मरीजों में बांटा जाना था, यदि मरीजों में दवा बंट जाता तो उन्हें काफी लाभ होता। इस मामले की जांच में भी तत्कालीन प्रचार्य डॉ तबरेज अख्तर दोषी पाए गए थे। आश्चर्य की बात तो यह है कि अपनी ही कंपनी की दवा ही, मेडिकल कॉलेज में सप्लाई करा दी। इसके लिए भी कई प्रकार की चालाकी चली गई, लेकिन कोई चाल काम नहीं आई और यह गड़बड़ी भी पकड़ी गई। दरअसल, अपनी कंपनी की दवा ही, कंपनी बनने से से पहले, तिब्बी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में सप्लाई करा दी गई। सबसे आश्चर्य की बात तो यह है कि दवा कंपनी बनने से पहले ही दवा कॉलेज में आ गई। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि दवा कि गुणवत्ता क्या होगी और एक प्राचार्य का कर्त्तव्य वे कितनी जिम्मेदारी से निभा रहे थे।
कॉलेज से जुड़े सूत्रों का दावा है कि उनके कार्यकाल में उनके एक चहेते कर्मचारी ने उनकी मिलीभगत से 40 लाख से अधिक की राशि वेतन के नाम पर निकासी कर ली।
अभी इन मामलों की लीपापोती कर फिर से प्राचार्य पद पाने का सपना देख रहे डॉ. तबरेज अख्तर अब लाइब्रेरी से छह हजार से ज्यादा किताबें गायब होने के मामले में भी घिर गए हैं। कहा तो यहां तक जा रहा है कि इन किताबों को गायब करने में शहलाल आलमगीर की संलिप्तता है। अब एकसुर से इन मामलों की फिर से जांच की मांग उठने लगी है। एक प्रतिनिधिमंडल जल्द ही स्वास्थ्य मंत्री तेजस्वी यादव और स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत से मुलाकात कर फिर से इन मामलों की गहनता से जांच की मांग करेगा ताकि सरकार के राजस्व एवं नियम-कायदों का पलीता लगाने वाले तत्कालीन प्राचार्य डॉ. तबरेज अख्तर पर और कड़ी कार्रवाई हो सके।
इतने बड़े घोटाले और नियम- कायदों को दरकिनार कर अपनी मनमर्जी चलाने वाले प्राचार्य के निलंबन मात्र से ही लोग संतुष्ट नहीं हैं।
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