खो गया जो
क्यों डरूँ?
कर्म करना
हाथ मेरे
कर रहा हूँ
क्यों डरूँ?
जीवन मरण
लाभ हानि
यश अपयश
विधाता के हाथ में
कर्म करता
चल रहा हूँ
परिणाम चिन्ता
क्यों करूँ?
कामना प्रभु से इतनी
स्वास्थ्य का
उपहार दे
परिवार मे
प्रेम प्यार हो
साहचर्य बना रहे।
कृष्ण से सारथी बन
मार्ग प्रदर्शक बनो
जब भी विचलित मन कभी
गीता मेरे संग रहे।
अ कीर्ति वर्द्धन
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