शब्दों की रचना
बहुत कुछ मैंने अपनेगीतों और कविताओं में लिखा।
जिन के हर शब्दों में
झलक रहा है बहुत प्यार।
इसलिए तो परिवर्तन की
देखो लहर चल रही।
और लोगों की भी देखो
कैसे सोच बदल रही।।
मेरे ही शब्द अब मुझको
बहुत ही चुभ रहे है।
पर दुनियाँ के लोगों को
बहुत ही अच्छे लग रहे।
जिनके लिए मैं लिखता हूँ
वो ही मुझसे रूठ गये।
और मेरी लेखनी में अब
मोहब्बत लुप्त हो गई।।
किसी का किसी से
यदि संबंध हो जाये।
मानो की जीवन का
उनसे बंधन हो जाये।
और गीत गजल का
मंच पर मिलन हो जाये।
तो रात का आंनद श्रोताओं
के लिए दुगना हो जाता है।।
जय जिनेंद्र
संजय जैन "बीना"
मुंबई
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