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न्याय की भाषा हमेशा मातृभाषा ही होनी चाहिये परन्तु बिहार सरकार इसके लिए सजग नहीं :-न्यायमूर्ति श्री राजीव रंजन प्रसाद

न्याय की भाषा हमेशा मातृभाषा ही होनी चाहिये परन्तु बिहार सरकार इसके लिए सजग नहीं :-न्यायमूर्ति श्री राजीव रंजन प्रसाद

भारतीय भाषा अभियान, बिहार प्रदेश द्वारा अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के अवसर पर दिनांक 21 फरवरी दिन मंगलवार को बिहार बार काउंसिल भवन के ब्रजकिशोर स्मृति सभागार, पटना उच्च न्यायालय में "जनता को न्याय जनता की भाषा हिंदी में" विषय पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया । इस अवसर पर पटना उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति श्री राजीव रंजन प्रसाद मुख्य अतिथि के रुप में बोलते हुए कहा कि जनता को न्याय जनता की भाषा में ही मिलना चाहिए । इस संबंध में उन्होंने कहा कि पटना उच्च न्यायालय के एक पूर्ण पीठ के द्वारा दिए गए फैसले को विस्तृत रूप से उद्धृत करते हुए कहा कि यह फैसला हिंदी को न्यायपालिका की भाषा बनाने में मील का पत्थर साबित होगा । मुख्य वक्ता के रूप में पटना उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति डॉ अंशुमान ने कहा कि जनता को न्याय जनता की मातृभाषा हिंदी में मिले इस बात का उन्होंने पुरजोर समर्थन किया और साथ में उन्होंने हिंदी भाषा के सरलीकरण पर विशेष जोर दिया । कार्यक्रम की शुरुआत शिखा सिंह परमार अधिवक्ता द्वारा सरस्वती वंदना से की गई। भारत माता के चित्र पर पुष्पांजलि कर कार्यक्रम की शुरुआत की गई। विषय प्रवेश भारतीय भाषा अभियान के प्रदेश संयोजक परमानन्द प्रसाद अधिवक्ता द्वारा किया गया। उन्होंने कहा कि हमारे संविधान निर्माताओं ने संविधान के अनुच्छेद 343 में यह प्रावधान किया था कि संविधान लागू होने के बाद आगे पंद्रह बर्षों तक अंग्रेजी भाषा सरकारी कार्यालयों में प्रयोग होती रहेगी । 15 वर्षों के बाद अंग्रेजी की जगह हिंदी को स्थापित करना था लेकिन आज 75 वर्षों के बाद भी हमारे देश के नेताओं की लापरवाही के कारण ऐसा हो ना सका । उन्होंने कहा कि भारत का न्यायालय भारतीयों के लिए है इसलिए न्याय एवं न्यायालय की कामकाज की भाषा भारत की भाषा होनी चाहिए। कार्यक्रम की अध्यक्षता बिहार बार काउंसिल के अध्यक्ष एवं वरीय अधिवक्ता श्री रमाकांत शर्मा ने की। पटना उच्च न्यायालय के अधिवक्ता संघों के समन्वय समिति के अध्यक्ष श्री योगेश चंद्र वर्मा विषय की महत्ता पर प्रकाश डाला । अभियान के संरक्षक डॉ अजीत कुमार पाठक ने मातृभाषा के महत्व को बताते हुए कहा कि मातृभाषा किसी भी व्यक्ति की सामाजिक एवं भाषाई पहचान होती है । मंच का संचालन इंद्रदेव प्रसाद अधिवक्ता किया गया और धन्यवाद ज्ञापन राजेश कुमार अधिवक्ता द्वारा किया गया । इस अवसर पर शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के प्रदेश संयोजक डॉ अरुण कुमार सिंह ने भी विषय के समर्थन में अपनी बात संक्षेप में रखा। कार्यक्रम में अभियान के व्यवस्था प्रमुख श्री लक्ष्मी कांत पांडे समेत कई गणमान्य लोग शामिल हुए।
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