तू ही खुशियों का खजाना
मन मोहक मुस्कान तेरी हर लेती है व्यथा मेरी।
तू ही खुशियों का खजाना शरण आया प्रभु तेरी।
हे ईश्वर तू अंतर्यामी तू रखवाला तू ही है स्वामी।
घट घटवासी लखदातार सबके रक्षक सृजनहार।
सारी सृष्टि के संचालक है परमेश्वर तुम हो पालक।
तुम ही नैया हो खेवनहार दीनबंधु तुम ही करतार।
अंधकार को दूर करो प्रभु भर दो झोली आया द्वार।
पीर हरो सारे संकट मेरे खुशियों से भर दो भंडार।
दमका दो किस्मत के तारे खोलो सभी भाग्य के द्वार।
कीर्ति पताका व्योम लहराए ईश्वर दो हमको उपहार।
रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू राजस्थानरचना स्वरचित व मौलिक है।
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