मेरा वजूद
मेरा वजूदजो बना है
समाज कल्याण के लिए
युवाओं के उत्थान के लिये
संस्कारों के निर्माण के लिये
प्रदूषण समाधान के लिये
अस्तित्व में रहेगा सदा तत्पर
जन जन के चरित्र निर्माण के लिये।
चरित्र निर्माण ही
सफलता का आधार है
मनुष्य में मनुष्यत्व
चरित्र ही आधार है।
राष्ट्र की नींव
युवा होते हैं
युवाओं की नींव
चरित्र का विस्तार है।
संस्कार संस्कृति सभ्यता
परिवार का आधार हो,
बुराइयों से बचने को
सदा प्रयत्नशील हों,
सनातन मूल्यों को समर्पित
सदा अपना व्यवहार हो,
ज्ञान की चर्चा चलें,
बुजुर्गों का सम्मान हो
स्वस्थ रहने के लिये
ख़ान पान शुद्ध हो
प्रदूषण निस्तार हो।
चहुंमुखी विकास से
मेरे वजूद का विस्तार हो।
डॉ अ कीर्ति वर्द्धन
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