ले गया रावण जब मैया सीता को हर कर
हाँ माना कि दुनिया है ताजमहल की दीवानी,
इसे ही समझती आई है प्यार की निशानी।
हम भी तो यही सुनते आये सब की जुबानी,
शाहजहाँ ने बनवाई थी इमारत ये सुहानी।
गर जानना चाहते हो सच्चे प्यार की निशानी,
तो पढ़िए "रामसेतू" मेरी कविता रूपी कहानी।
ले गया रावण जब मैया सीता को हर कर,
तब प्रभु श्रीराम वन में भटके थे दर- दर।
सुग्रीव से मित्रता करके बात सारी बताई,
बाली का वध करके सुग्रीव को नारी दिलाई ।
समंदर पार लंका में जाना चाहते थे रघुराई,
नल नील ने रामसेतु बनाकर सिला तिराई।
अंगद ने पहुँच लंका में अपनी शक्ति दर्शाई ,
भूमि पर पैर जमा कर सबको ललकारा भाई।
तनिक पग न हिला सके लाज सब को आई,
अंगद का बल देखकर पूरी लंका घबराई ,
सागर पार कर के सेना ने की चढाई ,
इंद्रजीत के साथ रावण को धूल चटाई!
प्रभु श्रीराम ने अंत में ऐसी शक्ति चलाई,
रावण को मारकर अपनी सिया छुड़ाई।
अयोध्या में जब आये राम लखन जानकी ,
सब बोले एक साथ जय बोलो हनुमान की।।
मौलिक रचना✍️सुमित मानधना 'गौरव' सूरत, गुजरात।
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