चिंतन
विद्वान चिंतक हुए, पथ प्रदर्शक भारी।
देश का उत्थान करे, चिंतन भी कीजिए।
मंथन हो विचारों का, उर भाव उद्गारों का।
जनहित सरोकार, अमल में लीजिए।
वादों की भरमारों को, सत्ता की दरकारों को।
नेताजी की छवि जरा, परख भी लीजिए।
सोचिए विचारिये भी,हृदय उतारिए भी।
चिंतन मनन कर, शब्द मोती दीजिए।
रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू राजस्थानरचना स्वरचित व मौलिक है
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