मेरे अवगुण हर लो ना प्रभु
दर आया लेकर अरदास, मेरी झोली भर देना प्रभु।
मैं मूरख नादान हूं ईश्वर, मेरे अवगुण हर लेना प्रभु।
सृष्टि का संचार तुमसे ही, तुम ही पालनहारे प्रभु।
भर देते भंडार सबके, सारे जग के रखवारे प्रभु।
मन मंदिर में दीप जलाऊं, उजियारा कर देना प्रभु।
नाम भजूं दिन-रात हरे, मेरे अवगुण हर लेना प्रभु।
जब तप योग नहीं माला, भक्त तिहारा भोला भाला।
मंझधार में अटकी नैया, भगवन तू ही है रखवाला।
खुशियों से दामन भरके, जग रोशन कर देना प्रभु।
तुम ही एक मेरे सहारे, मेरे अवगुण हर लेना प्रभु।
रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू राजस्थानरचना स्वरचित व मौलिक है।
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