'मस्जिदों के लिए वक्फ बोर्ड, तो मंदिरों के लिए सनातन बोर्ड क्यों नहीं ?’ विषय पर विशेष संवाद !
- सरकारीकृत मंदिरों को भक्तों को सौंपकर उनका संचालन करने के लिए हिन्दू विभाग का गठन किया जाए ! - महंत श्री सुधीरदासजी महाराज
मस्जिदों के लिए ‘वक्फ बोर्ड’ है, चर्च के लिए भी ‘स्वतंत्र चर्च समिति’ (डाइसेशन बोर्ड) है । उसी प्रकार हिन्दुओं के मंदिरों के लिए भी समिति अथवा विभाग का गठन होना चाहिए । हिन्दुओं के मंदिरों का सुव्यवस्थापन हो, इसके लिए हिन्दुओं की समिति की आवश्यकता है । जो मंदिर सरकार के नियंत्रण में हैं, उन्हें भक्तों को सौंपकर उसका संचालन उक्त समिति को सौंपा जाए । नासिक के कालाराम मंदिर के आचार्य महामंडलेश्वर महंत श्री सुधीरदासजी महाराज ने यह आवाहन किया है । हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से ‘मस्जिदों के लिए वक्फ बोर्ड, तो मंदिरों के लिए ‘सनातन बोर्ड’ क्यों नहीं ?’ विषय पर आयोजित ऑनलाइन विशेष संवाद में वे ऐसा बोल रहे थे ।
महंत श्री सुधीरदासजी महाराज ने आगे कहा, ‘‘अनेक प्रसिद्ध देवस्थानों के परिसर में मद्य एवं मांसाहारी पदार्थाें की दुकानें हाती हैं, उन्हें बंद किया जाना चाहिए । कुछ प्रसिद्ध देवस्थानों के यहां पर्यटन की दृष्टि से भले ही सरकार ने विकास एवं सुविधाएं की हों, तब भी उन देवस्थानों की परंपराओं एवं आध्यात्मिकता को अक्षुण्ण रखने का दायित्व संबंधित देवस्थानों के पुजारियों एवं व्यवस्थापन का है । साथ ही ‘वक्फ बोर्ड’ ‘लैंड जिहाद’ के माध्यम से लाखों एकर भूमि हडप रहा है । इसके आगे भी अनेक अचल संपत्ति ‘वक्फ बोर्ड’ अपने नियंत्रण में ले लेगा; इसलिए सरकार को ‘वक्फ बोर्ड’ पर अंकुश रखना चाहिए ।’’
‘देवस्थान सेवा समिति’ के विदर्भ सचिव श्री. अनुप जायस्वाल ने कहा कि, मंदिरों एवं धार्मिक संस्थाओं को अब एकत्र आना चाहिए, साथ ही मंदिरों के लिए ‘सनातन बोर्ड’ का गठन किया जाना चाहिए । मंदिर क्षेत्र के लोगों में कुछ मतभेद भी हों, तो उनका बातचीत से समाधान निकाला जाना चाहिए । साथ ही सरकार मंदिरों को अपने नियंत्रण में लेकर कुछ समाजोपयोगी काम करती है; इसलिए वह सरकार अच्छी है, ऐसा नहीं कहा जा सकता; क्योंकि सरकारीकृतरहित मंदिर एवं मंदिरों के भक्त भी ऐसे अनेक समाजोपयोगी उपक्रम चलाते हैं । इससे हिन्दुओं की धार्मिक भावनाएं भी संजोई जाती हैं ।
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