Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है अपना सहयोग हमारे इस खाते में जमा करने का कष्ट करें | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

विश्व कविता दिवस पर

विश्व कविता दिवस पर

सीधी सच्ची परिभाषा यह कविता की,
मानवता की बात बताती कविता की।
कभी आँख से आँसू निकले दुश्मन के,
जख्मों पर भी लेप लगाती कविता की।
अ कीर्ति वर्द्धन
शब्द----
मैंने बोया
एक बीज "शब्द" का
मरुस्थल में।
वहाँ लहलहाई
शब्दों की खेती।
फिर बहने लगी
एक नदी शब्दों की
कविता बनकर
उस मरुस्थल में।
एक दिन
कुछ और नदियाँ
शब्दों की
आकर मिली
उसी मरुस्थल में
और
बन गया एक सागर
शब्दों का
मरुस्थल में।
अब
मरुस्थल
मरुस्थल नही रहा
अपितु
बन गया है
साहित्य सागर
जहाँ तैरती हैं नौकाएं
मानवता का सन्देश देती,
शिक्षा का प्रसार करती
और उससे भी अधिक
आदमी को
इंसान बनाती हुई।


शब्द बीज
बहुत शक्तिशाली है
आओ
हम सब मिलकर लगायें
एक-एक शब्द बीज
रेगिस्तान में,
दलदली व बंजर भूमि में,
पर्वत-पहाड़ों पर
जंगलों में
और हर खेत खलिहान में।
ताकि पैदा हो सकें
अनेक शब्द
जिससे भरपूर रहें
हमारे बुद्धि के गोदाम
तथा मिटा सकें भूख
अपने अहंकार की
झूठे स्वार्थ की
जातीय घृणा की
सत्ता लौलुपता की
तथा
निरंकुश आतंकवाद की।
शायद
शायद तब ही मनुष्य
इन्सान बन पायेगा
जब
शब्दों की
सार्थक एवं पौष्टिक खुराक से
उसका पेट भर जायेगा।

डॉ अ कीर्तिवर्धन
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ