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चार दिवसीय “कृषि विपणन पर राष्ट्रीय प्रदर्शनी” पटना में प्रारम्भ |

चार दिवसीय “कृषि विपणन पर राष्ट्रीय प्रदर्शनी” पटना में प्रारम्भ |

  • किसानो को अगर करनी है तरक्की तो अपनानी होगी नई तकनीक :- डॉ. लक्ष्मी विजया.एन., आईएएस

विपणन और निरीक्षण निदेशालय, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार की ओर से चार दिवसीय “कृषि विपणन पर राष्ट्रीय प्रदर्शनी” का आयोजन एल.एन.मिश्रा इंस्टीट्यूट ऑफ इकोनॉमिक डेवलपमेंट एंड सोशल चेंज, पटना में चार दिवसीय “कृषि विपणन पर राष्ट्रीय प्रदर्शनी”- 2022-23 (4 से 7 मार्च 2023 तक) का शुभारम्भ मुख्य अतिथि सह उद्घाटनकर्ता श्री एस.सिद्धार्थ,आईएएस, अपर मुख्य सचिव, वित्त विभाग एवं मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव, बिहार सरकार के करकमलों से एवं कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार की संयुक्त सचिव (विपणन) एवं कृषि विपणन सलाहकार डॉ. लक्ष्मी विजया.एन., आईएएस के द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया | पटना में प्रारम्भ हुआ | कार्यक्रम में मुख्य अतिथि बिहार सरकार के अपर मुख्य सचिव एस सिद्धार्थ थे ।विपणन एवं निरीक्षण निदेशालय, पटना के मार्केटिंग अधिकारी (प्रभारी) के.के.मौर्य ने बताया कि यह एक राष्ट्रीय स्तर की प्रदर्शनी है, जिसका लक्ष्य देश की कृषि विपणन प्रणाली को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित करना है, जिसमें ई-एनएएम, एफपीओ और अन्य महत्वपूर्ण गतिविधियों के बारे में जागरूकता पैदा करने और किसानों और अन्य हितधारकों के बीच बड़े पैमाने पर प्रचार करने पर विशेष जोर दिया गया है। उन्होंने बताया कि उदारीकरण के बदले हुए परिदृश्य को ध्यान में रखते हुए, प्रदर्शनी विपणन अनुसंधान और सूचना नेटवर्क, ई-एनएएम – राष्ट्रीय कृषि बाजार जैसी केंद्रीय क्षेत्र की योजनाओं पर ध्यान केंद्रित करेगी और प्रत्यक्ष विपणन, ग्रेडिंग और मानकीकरण, कटाई के बाद की हैंडलिंग और कृषि की अच्छी भंडारण प्रथाओं पर प्रकाश डाला गया ।

उन्होंने बताया कि पटना में कृषि विपणन पर इस राष्ट्रीय प्रदर्शनी के आयोजन के लिए हम डॉ. एन. विजया लक्ष्मी, जे.टी. सचिव (विपणन) एवं कृषि विपणन सलाहकार, भारत सरकार, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय को पटना में कृषि विपणन पर ऐसी राष्ट्रीय प्रदर्शनी आयोजित करने के लिए प्रेरणा एवं मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए आभारी है।

मार्केटिंग अधिकारी (प्रभारी) ने बताया कि केंद्र सरकार की कृषि विपणन नीतियों और कार्यक्रमों को लागू करने के लिए विपणन और निरीक्षण निदेशालय (DMI) की स्थापना वर्ष 1935 में की गई थी। निर्माता-विक्रेताओं के साथ-साथ उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करने की दृष्टि से देश में कृषि और संबद्ध उत्पादों के विपणन के एकीकृत विकास के लिए निदेशालय अपनी स्थापना के समय से ही जिम्मेदार है।

यह देश में निम्नलिखित कृषि विपणन योजनाओं की नीतियों के कार्यान्वयन में केंद्र और राज्य सरकारों के बीच घनिष्ठ संपर्क बनाए रखता है। वर्तमान में एगमार्क ग्रेडिंग केवल आंतरिक व्यापार तक ही सीमित है। वर्तमान में बिहार में एगमार्क के तहत अधिकृत पैकर्स हैं। एगमार्क के तहत वर्गीकृत वस्तुओं में घी, मिश्रित खाद्य वनस्पति तेल, ग्राउंड मसाले और साबुत मसाले, अनाज, दालें और शहद शामिल हैं।

अपने सम्बोधन में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार की संयुक्त सचिव (विपणन) एवं कृषि विपणन सलाहकार डॉ. लक्ष्मी विजया.एन., आईएएस ने भारत सरकार की विभिन्न योजनाओ के बारे में बताया | बागवानी उत्पाद के लिए शीत संग्रहगार/संग्रहगारों के निर्माण/विस्तार/आधुनिकीकरण के लिए पूंजी निवेश सहायिकी योजना, भारत के विकास में किसानों का महत्वपूर्ण स्थान है। कोरोना संकट में भी किसानों ने अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान की है। किसानों की मेहनत का नतीजा है कि आज दूसरे देशों में अनाज, फसल और सब्जियां निर्यात की जा रही है। खेती-किसानी के क्षेत्र में उभरने वाली इस सफलता का श्रेय किसान उत्पादक संगठन (farm producer organisation) को भी जाता है। किसान उत्पादक संगठन (farm producer organisation) यानी एफपीओ, किसानों द्वारा बनाया गया एक स्वंय सहायता समूह होता है। किसानों का यह समूह खुद किसानों के हित में काम करता है। किसान उत्पादक संगठनों से जुड़कर किसान निश्चिंत होकर कृषि कार्यों के साथ-साथ अपने हितों की रक्षा कर पाते हैं।



जाहिर है कि किसान खून-पसीना एक करके मेहनत से अनाज, फल-फूल और सब्जियां उपजाते हैं। लेकिन कई बार बाजार में उनकी उपज का वाजिब दाम नहीं मिल पाता, जिस कारण किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ जाता है। ऐसी स्थिति में किसान उत्पादक संगठन (Farmer Producer Organization) बाजार में मोलभाव के वक्त किसानों के हित में पूरी ताकत के साथ खड़े रहते हैं। किसान उत्पादक संगठनों से जुड़ने पर छोटे किसानों को उपज का अच्छा मोल मिल जाता है। इससे किसानों की आजीविका में भी वृद्धि होगी।

एफपीओ (FPO) के जरिए किसान भाइयों को बीज, खाद, मशीनरी, मार्केट लिंकेज, ट्रेनिंग, नेटवर्किंग, वित्तीय सहायता और तकनीकी मदद उपलब्ध कराई जाती है। FPO किसानों के लिए वरदान साबित हो रहा है। कोरोना संकट के दौर में किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) की सफलता को सरकार ने भी सराहा है। इन्हीं रुझानों के मद्देनजर अब सरकार ने भी देशभर में 2,500 किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) की स्थापना करने की घोषणा की है। एफपीओ (FPO) बनाने के लिए कृषि फंड से 700 करोड़ रुपये खर्च किये जायेंगे, जिससे करीब 60 हजार किसानों को मदद पहुंचेगी। इतना ही नहीं, भारत में इन किसान उत्पादक संगठनों के गठित होने से कृषि क्षेत्र को बल तो मिलेगा ही। इसकी मदद से छोटे और सीमांत किसानों के समूह को फसल बिक्री के समय मोलभाव करने की आजादी भी मिलेगी।

अपने सम्बोधन में मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव, बिहार सरकार एवं अपर मुख्य सचिव, वित्त विभाग श्री एस.सिद्धार्थ,आईएएस ने किसानो के बीच से बिचौलियों को हटाने की व्यवस्था बनाने पर जोड़ दिया | इस कार्यक्रम में श्री एस.के.गुप्ता, निदेशक, ब्यूरो ऑफ़ इंडियन स्टैंडर्ड्स(BIS), भारत सरकार, श्री के.के.मौर्य, विपणन एवं निरीक्षण निदेशालय, पटना के मार्केटिंग अधिकारी (प्रभारी),
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