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रंग रूप और गुण

रंग रूप और गुण

रंग रूप और गुण मिले जुड़े हैं दिलों के तार।
अपनापन अनमोल मिले हृदय उमड़ता प्यार।
धरती अंबर जब मिले बहती भावों की रसधार।
उतरे चांद जमीन पे चांदनी खुशियों की फुहार।
हृदय उमड़ता प्यार
रंग मिले रोशन हो चेहरे, रुप मिले निखार आए।
गुण की पूजा होती जग में, यश वैभव कीर्ति पाए।
रंग बसंती मस्त बहारें, रूपवती का यौवन श्रंगार।
गुणवानो का विनय गहना, विनम्र भाव लेते धार।
हृदय उमड़ता प्यार
रंग रंग के फूल खिले, महके चमन उपवन मिले।
रूप धरा जब कुदरत ने, हर दिल में अनुराग पले।
झूम उठी मन की वादियां, भाव भरी बहती बयार।
उमंगों का सिंधु ले हिलोरे, बरसती है रस की धार।
हृदय उमड़ता प्यार
रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू राजस्थान
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