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रा रंग चढ़ा है

रा रंग चढ़ा है

---:,भारत का एक ब्राह्मण
संजय कुमार मिश्र अणु
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जब से तेरा रंग च्ढा है,
तब से मेरा रंग बढ़ा है।१।
ओ देखकर सब दंग है,
जो भी बगल से कढ़ा है।२।
जलकर बोलते है लोग,
इसे इश्क का भूत चढ़ा है।३।
एक दिन पछताएगा यह,
ये जो झूठा ख्वाब गढ़ा है।४।
अणु को नहीं पता है यार,
आखिर ये कौन पाठ पढ़ा है।५।
अंत में सारी उम्र पछताएगा,
इसके सर पर कलंक मढ़ा है।६।
देखकर कहते है अणु को सभी,
है तो ठीक पर बड़ा नकचढ़ा है।७।
----------------------------------------वलिदाद,अरवल(बिहार)
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