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एक नारी अनेक रूप

एक नारी अनेक रूप

नाव पर सवार आईं दुर्गा माता ,
माता आदिशक्ति ले रूप एक ।
यहां बिखर गईं वे नौ रूपों में ,
एक नारी के ही ले रूप अनेक ।।
उन्हीं का आज प्रथम रूप है ,
मां शैलपुत्री का रूप बनाई हैं ।
निज भक्तों को खुश करने हेतु ,
मां अनेक रूप निज दिखाई हैं ।।
नमन है मां आदिशक्ति दुर्गा को ,
मां शैलपुत्री को सादर नमन है ।
उन्हीं की कृपा से विपदा आती ,
उन्हीं की कृपा से अमन चमन है।।
मां से हमारी एक यही विनती ,
सारे जीव सदा खुशहाल रहे ।
क्लेश द्वेष से सदा दूर रहें वह ,
विघ्न बाधा कोई न हर हाल रहे।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )बिहार ।
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