मां दुर्गा आईं नाव चढ़कर ,
नववर्ष का लें बहुत उपहार ।नवरात्रि की खुशियां लेकर ,
भक्तों हेतु वह लेकर प्यार ।।
मां दुर्गा दूजा रूप ले आई ,
ब्रह्मचारिणी सुंदर यह रूप ।
भक्तों पर है कृपा बरसाती ,
बिन कृपा स्वयं गिरते कूप ।।
मां ब्रह्मचारिणी तुम्हें नमन ,
दूर करो हमारे क्लेश द्वेष ।
भक्त सारे खुशहाल हो जिएं ,
कृपा बरसे मां सबपे विशेष ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )बिहार ।
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