तू नारायणी हो नारी
---:भारतका एक ब्राह्मण.संजय कुमार मिश्र 'अणु'
एक कुमारी
घूम रही थी
फूलवारी
करके सिंह सवारी
एक दिन उसने देखा
एक दिन दरबार में कहा
एक लड़की है पर्वत पर
जो है अपूर्व शोभाधारी
सुनते ही बात
कहा तात
उसे दरबार में लाओ
कल होते प्रात
जरा हम भी तो देखें
वो सौंदर्य भारी
लेकर चला सेना
अपूर्व कौशल घना
गुंजाते दिग् दिगंत
भर जयघोष प्रलयंकारी
जब देवी देखी
समझ गई शेखी
कि शंखनाद भर निनाद
हूंकारी
देखते देखते राक्षसी सेना
हो गई मृतप्राय
वो मारी न मारी
देख राक्षसों का ऐ अंत
मिलकर देवता संत
बोले देवी की जयकारी
हे जगजननी आदिशक्ति
दे मुझे अनुपम भक्ति
लोक कल्याणकारी
सुन देवी की महिमा
मिट गई कालिमा
और फैल गई उजियारी
कह रहा मिश्र 'अणु'
मैं तेरी महिमा क्या कहूं
हे इश्वरी सर्वेश्वरी
तू राधा,सीता,रमा,उमा हो,
पूर्णा,संपूर्णा,अपर्णा,अनुपमा हो
तू काली,कराली,विकारी
तू नारायणी हो नारी
----------------------------------------वलिदाद अरवल (बिहार)८०४४०२.
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