सात वार देते शिक्षा ,
सात वार देते शिक्षा ,हर वार निज को वारे ।
नित्य शिक्षा लेते लेते ,
मोबाइल हुए गुरुद्वारे ।।
हर वार पहुंचे गुरुद्वारे ,
गुरु शिष्य भी हमारे ।
कुछ शिक्षा देते किंतु ,
अधिक शिक्षा निखारे ।।
गु का अर्थ होता गूढ़ ,
रु का अर्थ होता रुख ।
गूढ़ रुख लेना वो देना ,
जीवन को देता सुख ।।
सात वार कहें वह सुनें ,
एक वार निज दें वार ।
सुंदर सुखमय अमृत ले ,
जीवन में लें हम उतार ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )बिहार ।
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