तूफानों से लड़ना सीखो
संकट आए तो मत चीखो ,
संकट में भी हंसते दिखो ।
संकट भाग जाएगा पर में ,
तूफानों से लड़ना सीखो ।।
जितना अधिक चीखेगा तू ,
उतना संकट चिल्लाएगा ।
हंसना आरंभ करेगा तू तो ,
संकट स्वयं भाग जाएगा ।।
जब संकट आया दिखे ,
मन में उसका कारण लिखो ।
बन जाएगा अनुभव तेरा ,
बस तूफानों से लड़ना सीखो ।।
डरना नहीं तूफानों से फिर ,
डरता जीवन ही मरता है ।
मुसीबत डरता उससे केवल ,
जो मुसीबतों से लड़ता है ।।
संघर्ष का नाम ही जीवन है
जीवन का नाम ही संघर्ष है ।
समय चक्र चाहे जैसा आए ,
सब झेलना हमें तो सहर्ष है ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )बिहार ।
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