तोड़कर जगत की वर्जनाओं को
छोड़कर जीवन की बाधाओं को,धर्म अध्यात्म की राह बढ़ना होगा,
फिर नया जीवन पथ चुनना होगा।
कर्तव्यों का निर्वाह होना ज़रूरी है,
दायित्वों का बोध होना ज़रूरी है।
पलायन करने से कुंठाएँ सदा बढ़ती,
अधिकारों का ज्ञान होना ज़रूरी है।
संतुलन बना जीवन डोर पर चलना होगा,
खट्टे मीठे अनुभवों को धारण करना होगा।
जो उचित लगे परिवार हित स्वीकारना है,
सार ग्रहण थोथे को यहाँ फटकारना होगा।
अ कीर्ति वर्द्धन
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