पृथ्वी संरक्षण
1 जिस धरा पर जन्म लिए ,
जिस धरा पर करते वास ।
उसी धरा का ये संरक्षण ,
हमारे जीवन का एहसास ।।
2 मां धरा हमारी जीवन है ,
आओ हम इसे जीवन दें ।
वृक्ष लगाएं उर्वरक बढ़ाएं ,
मां धरा को नवजीवन दें ।।
3 जीवनदाता जीवन पालक ,
पृथ्वी ही है जीवन विधाता ।
परिश्रम जैसा जो करता ,
पारिश्रमिक वैसा ही पाता ।।
4 मां धरा हमारे हेतु अर्पित ,
हम भी धरा को करें अर्पण ।
धरा है देती जीवन सुरक्षा ,
हम भी करें धरा संरक्षण ।।
5 वृक्षारोपण कर क्षरण रोकें ,
पर्यावरण का ले लें शरण ।
पर्यावरण से ही दीर्घायु होंगे ,
पर्यावरण करेगा पोषण भरण।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )बिहार ।
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