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महानगर का आदमी....

महानगर का आदमी....

कंकरीट के जंगलों में जीता हुआ आदमी
संवेदनाओं के प्रति मृत प्राय: आदमी,
प्यार का भूखा, अहंकार मे डूबा आदमी
बस दिखावे के लिए जीता हुआ आदमी।


कंकरीट के जंगलों मे जीता हुआ आदमी।


पैसे की हौड मे दौड़ता हुआ आदमी
प्राकृतिक सौंदर्य को रौंदता हुआ आदमी,
ऊँची अट्टालिकाओं मे रहने वाला आदमी
कीड़े मकोड़े सा रेंगने वाला आदमी।


कंकरीट के जंगलों मे जीता हुआ आदमी।


सूरज की धुप को खोजता हुआ आदमी
चाँद और तारों की तलाश मे है आदमी,
पानी की चाह मे भटकता हुआ आदमी
व्यभिचार की जिंदगी मे डूबा हुआ आदमी।


कंकरीट के जंगलों मे जीता हुआ आदमी।

डॉ अ कीर्तिवर्धन
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