मौसम के सुर बदल रहे
डॉ रामकृष्ण मिश्रघाम-घाम खेलती रही धरा-किरण,
त्रास में उदग्र शान्ति हो गयी हिरण,
मेह भी गरज सदल रहे॥
मौसम के सुर बदल रहे॥
दूर कहीं पर्वत पर सुना, घिरे बादल,
पाषाणी छाती पर फट॓,हुआ घायल,
अनबूझे तरु अबल रहे॥
मौसम के सुर बदल रहे॥
रास्ते पहाड़ों के बर्फ हो गये लेकिन,
घाटियाँ नयेपन में बन रहीं बड़ी बेसिन,
दुख के अनुभव सबल रहे॥
मौसम के सुर बदल रहे॥
राहत मैदानों में बाँट तो गये हैं
अपने परचम भी कुछ साट तो गये हैं,
विधि निर्देशन प्रबल रहे॥
मौसम के सुर बदल रहे॥ रामकृष्ण
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag
0 टिप्पणियाँ
दिव्य रश्मि की खबरों को प्राप्त करने के लिए हमारे खबरों को लाइक ओर पोर्टल को सब्सक्राइब करना ना भूले| दिव्य रश्मि समाचार यूट्यूब पर हमारे चैनल Divya Rashmi News को लाईक करें |
खबरों के लिए एवं जुड़ने के लिए सम्पर्क करें contact@divyarashmi.com