अरी ओ सुंदरी
---: भारतका एक ब्राह्मण.संजय कुमार मिश्र 'अणु'
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अरी ओ सुंदरी
बनोगी तुम
मेरी जीवन सहचरी
तेरी आंखों का स्वप्न
और अधरों की मुस्कान
भर रहे हैं जड चेतन में
रुचि,सुचि सुखमय गान
भाव चेतना भरी
तु निश्छल पावन और सहज
रहती हो सरल सब तज
तु सृष्टि का श्रृंगार रचना अपार
कौतुकमयी,जयी क्षमा,दया,तप
प्यारी सुकुमारी
मैं रुप,रस, सौंदर्य का उपासक
और तुम त्रैलोक्य पालिका
मैं कर्कश कठोर कराल काल
और तु मोहिनी,रमा,कालिका
मालिका,प्रतिपालिका,सुरेश्वरी
तेरी छाया में निमग्न चराचर
मैं आतुर हूं बनने को सहचर
है तेरा स्वागत हो करबद्ध नत
तु मान ले नारायण हरि
_________वलिदाद, अरवल (बिहार)८०४४०२.
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