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बाल श्रम ---

बाल श्रम ---

मैं खुद प्यासा रहता हूँ पर
जन जन की प्यास बुझाता हूँ
बालश्रम का मतलब क्या है
समझ नहीं मैं पाता हूँ।


भूखी अम्मा, भूखी दादी
भूखा मैं भी रहता हूँ,
पानी बेचूँ ,प्यास बुझाऊँ
शाम को रोटी खाता हूँ।


उनसे तो मैं ही अच्छा हूँ
जो भिक्षा माँगा करते हैं
नहीं गया विद्यालय तो क्या
मेहनत की रोटी खाता हूँ।


पढ़ लिख कर बन जाऊँ नेता
झूठे भाषण, मानवता को धोखा
उससे अच्छा, अनपढ़ रहकर
मानव बनना होगा चोखा।


मानवता की राह चलूँगा
खुशियों के दीप जलाऊँगा
प्यासा खुद रह जाऊँगा पर
जन जन की प्यास बुझाऊँगा।


डॉ अ कीर्तिवर्धनफ़ोटो कीर्ति वर्द्धन
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