Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है अपना सहयोग हमारे इस खाते में जमा करने का कष्ट करें | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

वो चिट्ठियों का दौर पुराना हो गया

वो चिट्ठियों का दौर पुराना हो गया,

जबसे मोबाइल से याराना हो गया।
खत्म हुई बातें इन्तजार की खत के,
अब तो रूबरू इश्कियाना हो गया।
निगाहें दर पर डाकिये का इन्तजार,
खत का किस्सा गुजरा जमाना हो गया।
पढ़ते थे वह सब भी जो लिखा ही नहीं,
छिप छिप कर पढ़ना फ़साना हो गया।
कितनी बार भिगोया पढ़कर आँखों को,
रात भर जगना, किस्सा पुराना हो गया।
इश्क मोहब्बत प्यार की बातें जो लिखी नहीं,
पढ़कर ही वो आशिक मेरा दीवाना हो गया।

अ कीर्ति वर्द्धन
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ