वो चिट्ठियों का दौर पुराना हो गया,
जबसे मोबाइल से याराना हो गया।खत्म हुई बातें इन्तजार की खत के,
अब तो रूबरू इश्कियाना हो गया।
निगाहें दर पर डाकिये का इन्तजार,
खत का किस्सा गुजरा जमाना हो गया।
पढ़ते थे वह सब भी जो लिखा ही नहीं,
छिप छिप कर पढ़ना फ़साना हो गया।
कितनी बार भिगोया पढ़कर आँखों को,
रात भर जगना, किस्सा पुराना हो गया।
इश्क मोहब्बत प्यार की बातें जो लिखी नहीं,
पढ़कर ही वो आशिक मेरा दीवाना हो गया।
अ कीर्ति वर्द्धन
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag
0 टिप्पणियाँ
दिव्य रश्मि की खबरों को प्राप्त करने के लिए हमारे खबरों को लाइक ओर पोर्टल को सब्सक्राइब करना ना भूले| दिव्य रश्मि समाचार यूट्यूब पर हमारे चैनल Divya Rashmi News को लाईक करें |
खबरों के लिए एवं जुड़ने के लिए सम्पर्क करें contact@divyarashmi.com