संविधान ज़रूरी है
शेर को घास खिलाया नहीं जाता,
चॉकलेट देकर बहलाया नहीं जाता।
अपराधी को सजा संविधान से मिले,
संविधान का महत्व नकारा नहीं जाता।
पहले भी संविधान था, अपराधी बेख़ौफ़ थे,
निर्दोष मरते रहे, मानवाधिकारी ख़ामोश थे।
अपराधी को अपराधी ने मौत के घाट उतारा,
सतर्क कुछ राजनेता, ताक़त के मद बेहोश थे।
अपराधियों को सजा मिलेगी क़ानून से, यह तय है,
सत्ता किसी की भी हो बचा न सकेगी, यह तय है।
पाप का प्रायश्चित करने का अवसर सबको मिलता है,
एक दिन रावण को मरना होगा राम के हाथों, यह तय है।
संविधान बना है तो उसका मान होना चाहिए,
जनता से सत्ताधीशों तक, सम्मान होना चाहिए।
न्याय जब बिकने लगे, बाहुबल और धनबल पर,
निर्बल को न्याय हित, सबल राजा होना चाहिए।
अ कीर्ति वर्द्धन
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