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छविनाथ पांडेय के प्रयास से साहित्य सम्मेलन को भूमि प्राप्त हुई, भवन बना:-डा अनिल सुलभ

छविनाथ पांडेय के प्रयास से साहित्य सम्मेलन को भूमि प्राप्त हुई, भवन बना:-डा अनिल सुलभ

  • जयंती पर हास्य-वयंग्य के ख्यातिनाम कवि राजेश अरोरा 'शलभ' को दिया गया स्मृति-सम्मान, आयोजित हुई कवि-गोष्ठी

पटना, १५ अप्रैल। १९ अक्टूबर १९१९ को मुज़फ़्फ़रपुर में बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन की स्थापना हुई थी। तबसे अगले १७ वर्षों तक यह संस्था उदारमना प्रबुद्धजनों के सहयोग से निःशुल्क अथवा किराए पर प्राप्त कमरों में चलती रही। वर्ष १९३६ में आहूत पूर्णिया अधिवेशन में,तब के सुप्रतिष्ठ पत्रकार और साहित्यसेवी पं छविनाथ पाण्डेय को सम्मेलन का प्रधानमंत्री बनाया गया। उन्हीं के आग्रह पर उसी वर्ष से सम्मेलन का कार्यालय पटना में स्थानांतरित किया गया। पांडेय जी ने अपने प्रभाव और श्रम से कदमकुआं में राज्य सरकार से भूमि प्राप्त की। भवन के निर्माण में बनैली के राजा कीर्त्यानंद सिंह का दस हज़ार रूपए का एक मुश्त सहयोग विशेष उल्लेखनीय है। कहना यह चाहिए कि यदि छविनाथ पाण्डेय न होते तो सम्मेलन को न तो भूमि मिलती और न भवन होता। और यदि यह न होता तो संभवतः इसका भी अन्य प्रांतीय सम्मेलनों की भाँति अस्तित्व मिट गया होता।
यह बातें शनिवार को सम्मेलन सभागार में आयोजित जयंती समारोह की अध्यक्षता करते हुए, सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कही। उन्होंने कहा कि, सम्मेलन को अमर बनाने में जिन साहित्यकारों ने अपना सब कुछ न्योछावर किया, उनमें छविनाथ जी अग्रगण्य थे। वे मुद्रण-कला के भी विशेषज्ञ थे और इस विषय पर, इसी नाम से लिखा गया उनका ग्रंथ आज भी मूल्यवान है। हिन्दी और अंग्रेज़ी के महान विद्वान पांडेय जी पत्रकारिता के आदर्श-पुरुष तो थे ही स्वतंत्रता-संग्राम के भी महान योद्धा थे। साधु-पुरुष सा उनका पारदर्शी और सादा सारस्वत जीवन आज भी प्रेरणास्पद है।
इस अवसर पर हास्य-वयंग्य के ख्याति नाम कवि राजेश अरोड़ा 'शलभ' को 'पं छविनाथ पाण्डेय स्मृति सम्मान' से अलंकृत किया गया। लखनऊ से पधारे श्री शलभ ने अपनी छंद-बद्ध रचनाओं से श्रोताओं के मन को न केवल गुदगुदाया-हँसाया अपितु रस से सराबोर कर दिया। समारोह में उनकी काव्य-पुस्तक 'गीता- काव्यामृत' का लोकार्पण भी किया गया।
सम्मेलन के उपाध्यक्ष डा शंकर प्रसाद, डा मधु वर्मा, बच्चा ठाकुर, शुभ चंद्र सिन्हा, सुनील कुमार उपाध्याय, कुमार अनुपम, कमल किशोर वर्मा' कमल', श्याम बिहारी प्रभाकर, सदानंद प्रसाद, अशोक कुमार, डा पल्लवी विश्वास, डा सुषमा कुमारी, कृष्णा मणिश्री, चंदा मिश्र, अर्जुन प्रसाद सिंह, नेहाल कुमार सिंह 'निर्मल', कुमार गौरव आदि कवियों ने भी अपने काव्य-पाठ से श्रोताओं की तालियाँ बटोरी। मंच का संचालन गीत के चर्चित कवि ब्रह्मानन्द पाण्डेय ने तथा धन्यवाद-ज्ञापन प्रबंध मंत्री कृष्ण रंजन सिंह ने किया।
इस अवसर पर सम्मेलन के अर्थमंत्री प्रो सुशील कुमार झा, डा बी एन विश्वकर्मा, डा चंद्रशेखर आज़ाद, अमन वर्मा, हिमांशु कुमार, अजीत कुमार भारती, दुःख दमन सिंह, नन्दन कुमार मीत, श्री बाबू, दयानंद जायसवाल, अविनय काशीनाथ आदि प्रबुद्धजन उपस्थित थे।
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