एक इच्छा
जीवन को भी होती एक इच्छा ,अपने पूरे जीवन यह जीने की ।
जीवन में जो चुनौती भी आए ,
पड़े जहर भी गर यह पीने की ।।
चाहे जीवन बीते खुब हंसकर ,
चाहे जीवन जिएं घुट घुटकर ।
जीवन में कोई कटौती न करेंगे ,
चाहे रोना पड़े हमें फुट फुटकर।।
एक इच्छा जीवन की है होती ,
जीवन हो सुखमय खुशहाल ।
जीवन हो यह सदा ही दीर्घायु ,
जीवन न हो कभी भी बदहाल ।।
जीवन हो जीवन हेतु उपयोगी ,
जीवन करे जीवन का सहयोग ।
जीवन बनाए जीवन को सुखमय ,
तब जीवन जीवन का बने योग ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )बिहार ।
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