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देख मुखौटे नकली -असली

देख मुखौटे नकली -असली

डॉ रामकृष्ण मिश्र
करता मन परित्याग ॥


जीवन के खुशनुमे क्षणों में
संपोषित अविमुक्त व्रणों में
अंतर आह्लादित अभिमंथन
रचता है शुचि याग॥


कोलाहल से विचलित मन में
क्रन्दित पौरुष के गुंफन में
अनायास कुसुमित हो जाता
कुंचित लतिका भाग॥


अनुसूचित अभिलाषाओं के
प्रतिकूलित परिभाषाओं के
सत्य समन्वित आदृत परिचयबाँचेगा अब काग॥
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