कबाड़ीवाला
कबाड़ीवाला आया ,कबाड़ीवाला ।
उचित मूल्य बेंच लो कबाड़ ,
आया कबाड़ीवाला ।।
घर से तुम्हारे ,
गंदगी हटेगी ।
मन से तुम्हारे ,
मंदगी हटेगी ।।
पैसे लो उपहार ,
कबाड़ दे दो लाला ।
केवल नगद नहीं उधार ,
आया कबाड़ीवाला ।।
उचित मूल्य तुम्हें मिलेगा ,
बूढ़े का आशीष मिलेगा ।
बूढ़े का परिवार चलेगा ,
हर पल तेरा हृदय खिलेगा ।।
कबाड़ बिकेगा पैसा मिलेगा ,
तब उठेगा माला ।
बेंच लो कबाड़ ले लो पैसे ,
आया कबाड़ीवाला ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )बिहार ।
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