भगवन विष्णु अवतार परशुराम
भगवन हरि विष्णु के आप थें ऐसे छठवें अवतार,राम समान शक्तिशाली थें रखते फरसा हथियार।
वीरता का साक्षात उदाहरण एवम नाम परशुराम,
अहम भूमिका निभाये थें जो त्रेतायुग एवं द्वापर।।
जो अपना गुरु भगवान शिव-शंकर को मानते थें,
महेन्द्र गिरी पर्वत जाकर कठोर तपस्या किए थें।
प्रसन्न होकर भोलेनाथ दिव्य अस्त्र इनको दिए थें,
जिनसे युद्ध निपुणता अजय रहें वरदान पाए थें।।
ब्राह्मण कुल में जन्में पर युद्ध में अधिक रुचि थी,
पूर्वजों के निर्देश से शिव जी की तपस्या की थी।
बैसाखमास में शुक्लपक्ष की तृतीया को जन्में थें,
सप्तऋषि जमदग्नि पिताजी व माता रेणुका थी।।
इस रोज लगातें है भक्तगण जगह-जगह भण्डारे,
रामभद्र भार्गव भृगुपति भृगुवंशी नाम से पुकारे।
मंदिरों में हवन-पूजन के आयोजन भी रखें जाते,
भोजन-प्रसादी का लाभ उठाते लगाते जयकारे।।
बढ़-चढ़कर करते इस-रोज अधिकांश लोग दान,
भीष्म, द्रोण व कर्ण को इन्होंने दिया शस्त्र ज्ञान।
इस दिन किये गए पुण्य का मिलता पुण्य अपार,
अनसुलझे इनके बहुत रहस्य परशुराम भगवान।।
सैनिक की कलम गणपत लाल उदय, अजमेर राजस्थान
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