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परशुराम जयंती

परशुराम जयंती 

ऋचा श्रावणी
जन्मदग्नि के लाल
किया उन्होंने दुष्ट क्षत्रियों
२१ बार संहार
एक तीर से भारत भूमी का विस्तार किया
कोंकण, गोवा और केरल दिया
दक्षिण में पूजे जाते
भगवान विष्णु के अवतार कहलाते
क्षत्रियों को कभी शिक्षा नहीं देते
लेकिन भीष्म और कर्ण इनके शिष्य बन जाते
गुरु द्रोणाचार्य भी पीछे क्यों रहते
उनके गुरु भी परशुराम ही कहलाते
शिव धनुष को श्री राम ने तोड़ा
झंकार सुन भगवन दौड़े चले आते
पहली बार ऐसा हुआ की राजा जनक के दरबार में
दोनों अवतार मिल पाते
एक अवतार क्रोध से भरा
दूजा मर्यादाओं का सागर है
वो ब्राह्मण होकर भी क्षत्रिय जैसी क्षमता रखने वाले
भगवान परशुराम है
क्षत्रिय कुल में जन्म लेकर भी संयम रखने वाले
प्रभु श्री राम हैं
गजानन से युद्ध कर उन्हें एकदंत बना दिया
ऐसे चिरंजीवी, अजेय महाप्रतापी
हमारे प्रभु परशुराम है
स्वरचित ऋचा श्रावणी
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