Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है अपना सहयोग हमारे इस खाते में जमा करने का कष्ट करें | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

मगस्य गोष्ठी प्रेमस्य मूलम् का संदेश है मग महोत्सव गया:-शैलेश कुमार पाठक

मगस्य गोष्ठी प्रेमस्य मूलम् का संदेश है मग महोत्सव गया:-शैलेश कुमार पाठक

एक मग एक ध्वज-
सौर धर्म सम्मेलन के लिए एक मग एक ध्वज तैयार किया गया है।यह पुरे सौर धर्म प्रेमियों का अभिमान है।
यह ध्वज मग धर्माध्यक्ष श्री कमलेश पूण्यार्क गुरू जी के निर्देशन में तैयार किया गया है।यह सौर धर्म ध्वज सात हाथ लंबा और पाँच हाथ चौडा है।इसके मध्य में सूर्य का प्रतीक बनाया गया है।बहुत पुण्य उदय से ही धर्म ध्वजारोहण का सुअवसर मिलता है।
यह पुरे मग समाज के लिए शान है।
सौर धर्म सम्मेलन गया बिहार में दिनांक-08-09अप्रैल को ध्वजारोहण एवं पूजन किया जायेगा।सत्य युग से आजतक ब्राह्मणों
का काम रहा है यज्ञ (सत्य)धर्म के लिए काम करना। यही परम्परा चली आ रही है। भगवान सत्यनारायण की स्थापना में वाराणसी का गरीब सदानंद ब्राह्मण जब सत्य के स्थापना के लिए चले होंगे तो ऐसा नहीं हुआ होगा कि उसके परिवार और समाज के लोग विरोध नहीं किये होंगे? भगवान विष्णु ने उस गरीब ब्राह्मण को ही क्यों चुना होगा क्योंकि सत्य के स्थापना में इसे ही योग्य माने होंगे।भगवत् कृपा से कोई महान काम करता है।
ऐसा है कि-
जब भी कोई समाज के नींद को तोडने की कोशिश करता है तो सोये हुए लोग को यह ठीक नहीं लगता है।मगर फिर उसके प्रयास का प्रयोग सारे समाज को अपनाता है।आज भी 80%से ज्यादा ब्राह्मण सत्यनारायण कथा से जी रहे हैं।विरोध तो आदि गुरू शंकराचार्य जी का उनके ही संबंधियो ने कम नहीं किया था।
यज्ञ(सत्य) के मार्ग पर चलने के लिए सबसे पूँछ कर नहीं चला जाता।कोई क्रांतिकारी कदम चल पड़ता है ।जब वह चल पड़ता है जिसे अच्छा लगता है उसके साथ चलते हैं चंद लोग विरोध और अपमान भी करते हैं, पागल, पाखंडी भी कहते हैं ।उसमें समाज के भीष्म पितामह और अविभावक उसका संरक्षण करते हैं।आदर की माँग नहीं करते। वे स्वयं सहयोग से आदृत हो जाते हैं।इसलिए उन्हें यह नहीं कहना चाहिए कि यज्ञ में मुझसे नहीं पूछा गया।
जनकल्याणकारी कार्यों के लिए साथ देने की परम्परा रही है युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ में शत्रु भी पत्र पुष्प लेकर उपस्थित होने की परम्परा नहीं छोडते हैं।
यज्ञ में किसी छोटे से छोटे किसी भी जीव का अपमान निरादर नहीं करने की परंपरा रही है।
इसी कड़ी मे भगवत् कृपा से कोई आज भी किसी के लिए अच्छा तो किसी के लिए पागल,पाखंडी, पापी,मूर्ख जो भी नाम दें उसे स्वीकार है। मगर सौर (सत्य) धर्म के लिए आगे आया है।ब्राह्मण है तो आयेगा ही।
सौर धर्म यज्ञ मग समाज के बीच सत्य स्थापना का प्रयोग है।इसलिए हम सभी साथ होकर प्रयास करेंगे ।
हम सभी सर्वश्रेष्ठ ब्राह्मण माने जाते हैं तो सौर धर्म सत्य धर्म को पुनर्प्रतिष्ठित हो रहे कार्य में साधक बनेंगे।आप सभी गया बिहार में आयोजित सौर धर्म सम्मेलन दिनांक-08-09अप्रैल 23 में अपने आपसी वैर द्वेष भाव का पिंडदान के लिए और प्रेम सौहार्द्र का विकास के लिए सादर आमंत्रित हैं।
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ