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मनन

मनन

जीवन यह पावन हो जाएगा ,
मन का मन से तुम करो मनन ।
परिवार से निजदिल को जोड़ो ,
नहीं होगा स्वाभिमान का हनन ।।
जीवन का मनन करके तू देख ,
जीवन के मिलेंगे ये तीन परक ।
छोड़ा दृढ़ निश्चय पहचान संघर्ष ,
तो जीवन भी बन जाता नरक ।।
करो मनन एक बार जीवन का ,
हर जीवन तुम पावन पाओगे ।
जीवन कभी भी बुरा नहीं होता ,
बुरे कर्म कर तुम पछताओगे ।।
पावन जीवन को बेहतर बनाओ ,
हर जीवन को काम ही आएगा ।
हर मन मस्तिष्क में बस जाओगे ,
जीवन सुंदर रौनक दिखाएगा ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
छपरा ( सारण )
बिहार ।
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