Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है अपना सहयोग हमारे इस खाते में जमा करने का कष्ट करें | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

ऐश्वर्य का प्रतीक है अक्षय तृतीया

ऐश्वर्य का प्रतीक है अक्षय तृतीया

सत्येंद्र कुमार पाठक 
 वैशाख शुक्ल तृतीया शनिवार विक्रम संवत - 2080 , गुजरात संबत 2079 , शक संवत -1945 , अयन - उत्तरायण , ऋतु - ग्रीष्म ॠतु 22 अप्रैल 2023 शनिवार को अक्षय तृतीया है ।अक्षय तृतीया में जप, तप, ज्ञान तथा दान अक्षय फल देने वाला 'अक्षय तृतीया' हैं। भविष्यपुराण, मत्स्यपुराण, पद्मपुराण, विष्णुधर्मोत्तर पुराण, स्कन्दपुराण अनुसार अक्षय तृतीया में शुभ कार्य करने में श्रेष्ठ फल मिलता है। देवताओं व पित्तरों का पूजन , पित्तरों का श्राद्ध कर धर्मघट दान किए जाने , वैशाख मास भगवान विष्णु को वैशाख अतिप्रिय होने के कारण भगवान विष्णु के अवतार भगवान परशुराम की उपासना होती है । स्कन्दपुराण के अनुसार मनुष्य अक्षय तृतीया को सूर्योदय काल में प्रातः स्नान कर भगवान विष्णु , भगवान पसरशुराम , मधुसूदन की पूजा करके कथा सुनने से मोक्ष के भागी और पुण्यकर्म भगवान की आज्ञा से अक्षय फल प्राप्त होते हैं। भविष्यपुराण के मध्यमपर्व के अनुसार वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया में गंगाजी में स्नान करनेवाला सब पापों से मुक्त हो जाता है | वैशाख मास की तृतीया स्वाती नक्षत्र और माघ की तृतीया रोहिणीयुक्त हो तथा आश्विन तृतीया वृषराशि से युक्त में दान करने पर अक्षय होता है | हविष्यान्न एवं मोदक देनेसे अधिक लाभ तथा गुड़ और कर्पूर से युक्त जलदान करनेवाले की पुरुष ब्रह्मलोक में पूजित होता है । बुधवार और श्रवण से युक्त तृतीया में स्नान और उपवास करनेसे अनंत फल प्राप्त होता हैं । मदनरत्न के अनुसार अस्यां तिथौ क्षयमुर्पति हुतं न दत्तं । तेनाक्षयेति कथिता मुनिभिस्तृतीया । उद्दिश्य दैवतपितृन्क्रियते मनुष्यै: । तत् च अक्षयं भवति भारत सर्वमेव ।। अर्थ : भगवान श्रीकृष्ण युधिष्ठरसे कहते हैं, हे राजन इस तिथि पर किए गए दान व हवन का क्षय नहीं होता है; इसलिए हमारे ऋषि-मुनियोंने इसे ‘अक्षय तृतीया’ कहा है । इस तिथि पर भगवानकी कृपादृष्टि पाने एवं पितरोंकी गतिके लिए की गई विधियां अक्षय-अविनाशी होती हैं । अक्षय तृतीया के दिन केसर और हल्दी से देवी लक्ष्मी की पूजा करने से आर्थिक परेशानियों में लाभ मिलता है। अक्षय तृतीया के दिन सोने चांदी की चीजें खरीदी जाती हैं। इससे बरकत आती है। अगर आप भी बरकत चाहते हैं इस दिन सोने या चांदी के लक्ष्मी की चरण पादुका लाकर घर में रखें और इसकी नियमित पूजा करें। क्योंकि जहां लक्ष्मी के चरण पड़ते हैं वहां अभाव नहीं रहता है। अक्षय तृतीया के दिन 11 कौड़ियों को लाल कपडे में बांधकर पूजा स्थान में रखे इसमें देवी लक्ष्मी को आकर्षित करने की क्षमता होती है। इनका प्रयोग तंत्र मंत्र में भी होता है। देवी लक्ष्मी के समान ही कौड़ियां समुद्र से उत्पन्न हुई हैं।अक्षय तृतीया के दिन घर में पूजा स्थान में एकाक्षी नारियल स्थापित करने से देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। स्वर्गीय आत्माओं की प्रसन्नता के लिए जल कलश, पंखा, खड़ाऊं, छाता, सत्तू, ककड़ी, खरबूजा आदि फल, शक्कर, घी आदि ब्राह्मण को दान करने से पितरों की कृपा प्राप्त होती है। अक्षय तृतीया सौभाग्य , सुंदर और सफलतम वैवाहिक जीवन के लिए महत्वपूर्ण है ।अक्षय तृतीया में भगवान व8विष्णु के अवतार भगवान परशुराम एवं माता अन्नपूर्णा का जन्म तथा माता गंगा का अवतरण हुआ था ।द्वापरयुग में भगवान कृष्ण द्वारा द्रोपदी को चीरहरण से बचाया और कुबेर को खजाने का स्वामी हुए थे । कृष्ण और सुदामा का मिलन , ब्रह्माजी के पुत्र अक्षय कुमार का अवतरण. प्रसिद्ध तीर्थ बद्री नारायण का कपा खोले जाते हैं । वृंदावन के बांकेबिहारी मंदिर में श्री विग्रह के चरण दर्शन ,महाभारत का युद्ध समाप्त हुआ था ।अक्षय तृतीया या आखा तीज वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि है ।
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ