राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर जी की पुण्यतिथि पर
थी धरा पे जब ज्योति जगाने की ,प्रभु ने रामरूप दूत तब पठाए थे।
राम का रूप धारण करने वाले ,
दिनकर रूपी प्रकाश दिखाए थे।।
किए संघर्ष वे तो आजीवन थे ,
समाज को दर्पण वे दिखाए थे ।
निसंकोच निर्भय प्रहार किए वे ,
नवशक्ति का संचार कराए थे ।।
कलम की धार थी पैनी उनकी ,
तलवारों की धारें भी फींकी थी ।
तुझे थे वे कुरीतियों से जमकर ,
उनकी कलम धरा पर टिकी थी ।।
कोटि नमन है उस राष्ट्रकवि को
सादर श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।
तन मन शक्ति दे मार्ग दिखा दे ,
मैं निज को समर्पित करता हूं ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )बिहार ।
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag
0 टिप्पणियाँ
दिव्य रश्मि की खबरों को प्राप्त करने के लिए हमारे खबरों को लाइक ओर पोर्टल को सब्सक्राइब करना ना भूले| दिव्य रश्मि समाचार यूट्यूब पर हमारे चैनल Divya Rashmi News को लाईक करें |
खबरों के लिए एवं जुड़ने के लिए सम्पर्क करें contact@divyarashmi.com