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राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर जी की पुण्यतिथि पर

राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर जी की पुण्यतिथि पर

थी धरा पे जब ज्योति जगाने की ,
प्रभु ने रामरूप दूत तब पठाए थे।
राम का रूप धारण करने वाले ,
दिनकर रूपी प्रकाश दिखाए थे।।
किए संघर्ष वे तो आजीवन थे ,
समाज को दर्पण वे दिखाए थे ।
निसंकोच निर्भय प्रहार किए वे ,
नवशक्ति का संचार कराए थे ।।
कलम की धार थी पैनी उनकी ,
तलवारों की धारें भी फींकी थी ।
तुझे थे वे कुरीतियों से जमकर ,
उनकी कलम धरा पर टिकी थी ।।
कोटि नमन है उस राष्ट्रकवि को
सादर श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।
तन मन शक्ति दे मार्ग दिखा दे ,
मैं निज को समर्पित करता हूं ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )बिहार ।
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