मां गंगे की वंदना कर हम धन्य धन्य हुए:-डॉ. अंकेश कुमार
राष्ट्रीय वरिष्ठ नागरिक काव्य मंच, पूर्वी उत्तर प्रदेश के अति सम्मानित मंच से जुड़ कर स्वयं को गौरांवित होने काअनुभव कर रहा हूं।ज्येष्ठ शुक्लपक्ष दशमी तिथि को राजा भागीरथ की अथक तपस्या से मां गंगे का आज ही के दिन इस धरा पर अवतरण हुआ।
इस पावन तिथि पर मां गंगे की वंदना कर हम धन्य धन्य हुए। ये बातें कवि डॉ. अंकेश कुमार ने कहीं।
मंच की अध्यक्षता कर रही थीं मनीबेन द्विवेदी, वाराणसी,मुख्य अतिथि आदरणीया सुवर्णा जाधव,महाराष्ट्र, संचालन मणिबेन द्विवेदी जी,विशिष्ट अतिथि हरेंद्र सिन्हा, वाराणसी,
आमंत्रित कवयित्री/कवि सुनीता जी हरियाणा, आदरणीया अंजू भारती, बेगलुरु,आदरणीय सुरेश वर्मा जी, सीतामढ़ी, मीना कुमारी परिहार मान्या जी, पटना, सुनील उपाध्याय जी, डॉ.अंकेश कुमार,पटना(बिहार), सभी ने एक से बढ़ कर एक काव्य पाठ की प्रस्तुति की ।
डॉ. अंकेश कुमार ने अपनी अति भाव प्रवण कविता "अंतर्द्वंद्व" से तेरे स्वप्न क्रांति के शंख/नाद कर रहे, हैं असंख्य/जिजीविषा के द्वंद्व में रह कर/ समर बना कण - कण में/ तू मुझमें, मैं तुझमें पंक्तियां पढ़ीं
मोक्षदायिनी पापा विमोचीनी गंगा मेरी माता है।
विष्णु चरण से निकल के आई महिमा सब नर गाता है। ये उद्गार कवयित्री मनीमणि बेन द्विवेदी जी की थीं।
अखिल भारतीय कवि गोष्ठी में मां गंगा एवम् उनकी महिमा का वर्णन कविताओं में किया गया अंत में धन्यवाद ज्ञापन श्रीमती द्विवेदी ने किया।
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