Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है अपना सहयोग हमारे इस खाते में जमा करने का कष्ट करें | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

सपना देखा करता हूं

सपना देखा करता हूं

---: भारतका एक ब्राह्मण.
संजय कुमार मिश्र 'अणु'
----------------------------------------
दिल में एक तस्वीर सजाकर,
तेरा सपना देखा करता हूं।।
कोमल-कोमल तेरी गात,
और मीठी-मीठी तेरी बात,
जाग-जागकर के भर रात,
तेरा सपना देखा करता हूं।।
तन से मन का मेल मनोहर,
मन से मन का खेल है सुंदर,
कुछ बाहर कर कुछ ले अंदर,
तेरा सपना देखा करता हूं।।
हंस हंसकर वो बातें करना,
सजल नयन से घातें करना,
फिर सारी जज्बातें भरना,
तेरा सपना देखा करता हूं।।
नग्न-मग्न है सारा भेद,
फिर भी मन में न है खेद,
समर्पित जीवन सारा वेद,
तेरा सपना देखा करता हूं।।
मिटा तेरा मेरा का भाव,
बना लिया सुमन स्वभाव,
नहीं कहीं कुछ भी दुर्भाव,
तेरा सपना देखा करता हूं।।
----------------------------------------वलिदाद अरवल बिहार
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ