सपना देखा करता हूं
---: भारतका एक ब्राह्मण.
संजय कुमार मिश्र 'अणु'
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दिल में एक तस्वीर सजाकर,
तेरा सपना देखा करता हूं।।
कोमल-कोमल तेरी गात,
और मीठी-मीठी तेरी बात,
जाग-जागकर के भर रात,
तेरा सपना देखा करता हूं।।
तन से मन का मेल मनोहर,
मन से मन का खेल है सुंदर,
कुछ बाहर कर कुछ ले अंदर,
तेरा सपना देखा करता हूं।।
हंस हंसकर वो बातें करना,
सजल नयन से घातें करना,
फिर सारी जज्बातें भरना,
तेरा सपना देखा करता हूं।।
नग्न-मग्न है सारा भेद,
फिर भी मन में न है खेद,
समर्पित जीवन सारा वेद,
तेरा सपना देखा करता हूं।।
मिटा तेरा मेरा का भाव,
बना लिया सुमन स्वभाव,
नहीं कहीं कुछ भी दुर्भाव,
तेरा सपना देखा करता हूं।।
----------------------------------------वलिदाद अरवल बिहार
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