भारतीय जन क्रान्ति दल,परशुराम सेवा संस्थान एवं राष्ट्रीय ब्राह्मण महासभा ने राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय सचिव यदुवंश कुमार यादव के विरूद्ध पटना के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में परिवाद पत्र दाखिल किया |
राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय सचिव यदुवंश कुमार यादव के बयान से आहत हो कर भारतीय जन क्रान्ति दल के राष्ट्रीय महासचिव डॉ राकेश दत्त मिश्र ने पटना की अदालत में परिवाद पत्र संख्या 4452/2023 दाखिल किया |ज्ञात हो कि राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय सचिव यदुवंश यादव ने ब्राह्मणों को बाहरी बताया था । पूर्व विधायक यदुवंश कुमार यादव ने ब्राह्मणों को लेकर एक विवादित बयान दिया था . उन्होंने कहा था कि ब्राह्मण भारतीय नहीं हैं, वे रूस से भागकर भारत आए हैं. इसी बात को लेकर भारतीय जन क्रान्ति दल के राष्ट्रीय महासचिव ने राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय सचिव यदुवंश कुमार यादव के विरूद्ध पटना के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में भारतीय दंड संहिता की धारा 504, 499 , 500, 505, 298 , 295(A) एवं भारतीय दण्ड विधान की धारा 153 (ए) में परिवाद पत्र दाखिल किया | अपने प्रतिवेदन में डॉ मिश्र ने कहाकि राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय सचिव की टिपणी भारत के समस्त ब्राह्मण समाज की भावना से खिलबाड़ है | ब्राह्मण समाज का इतिहास भारत के वैदिक धर्म से आरम्भ होता है। वास्तव में ब्राह्मण कोई जाति विशेष ना होकर एक वर्ण है, दक्षिण भारत में द्रविड़ ब्राह्मण को ही कहा जाता है| भारत का मुख्य आधार ही ब्राह्मणों से शुरू होता है। ब्राह्मण नरम व्यवहार के होते हैं| ब्राह्मण व्यवहार का मुख्य स्रोत वेद हैं। ब्राह्मण समय के अनुसार अपने आप को बदलने में सक्षम होते हैं । ब्राह्मणों का भारत की आज़ादी में भी बहुत योगदान रहा है जो इतिहास में गढ़ा गया है। ब्राह्मणों के सभी सम्प्रदाय वेदों से प्रेरणा लेते हैं। पारम्परिक तौर पर यह विश्वास है कि वेद अपौरुषेय (किसी मानव/देवता ने नहीं लिखे) तथा अनादि हैं, बल्कि अनादि सत्य का प्राकट्य हैं जिनकी वैधता शाश्वत है। वेदों को श्रुति माना जाता हैं (श्रवण हेतु, जो मौखिक परम्परा का द्योतक है)।धार्मिक व सांस्कृतिक रीतियों एवं व्यवहार में विवधताओं के कारण और विभिन्न वैदिक विद्यालयों के उनके सम्बन्ध के चलते, आचार्य ही ब्राह्मण हैं। सूत्र काल में प्रतिष्ठित विद्वानों के नेतृत्व में, एक ही वेद की विभिन्न नामों की पृथक-पृथक शाखाएँ बनने लगीं। इन प्रतिष्ठित ऋषियों की शिक्षाओं को सूत्र कहा जाता है। प्रत्येक वेद का अपना सूत्र है। सामाजिक, नैतिक तथा शास्त्रानुकूल नियमों वाले सूत्रों को धर्म सूत्र कहते हैं, आनुष्ठानिक वालों को श्रौत सूत्र तथा घरेलू विधिशास्त्रों की व्याख्या करने वालों को गृह्यसूत्र कहा जाता है। सूत्र सामान्यतः पद्य या मिश्रित गद्य-पद्य में लिखे हुए हैं। ब्राह्मण शास्त्रज्ञों में प्रमुख आंगिरस, आपस्तम्भ, अत्रि, बृहस्पति, बौधायन, दक्ष, गौतम, वत्स, हारीत, कात्यायन, लिखित, पाराशर, संवर्त, शंख, शातातप, ऊषानस, वशिष्ठ, विष्णु, व्यास, याज्ञवल्क्य तथा यम। ये इक्कीस ऋषि स्मृतियों के रचयिता थे। स्मृतियों में सबसे प्राचीन हैं आपस्तम्भ, बौधायन, गौतम तथा वशिष्ठ रहें है | राजनीत के पुरोधा आचार्य चाणक्य भी ब्राह्मण थें, ज्योतिष के ज्ञाता परासर और बराह ऋषि भी ब्रह्मण ही थें| क्रांतिकारियों में मंगल पाण्डेय, नाना साहेब, तात्या टोपे, सावरकर आदि सभी ब्राह्मण ही थे |
भारतीय जन क्रान्ति दल के राष्ट्रीय महासचिव डॉ राकेश दत्त मिश्र ने कहाकि इस प्रकार के बडबोले नेताओं पर करवाई हो ऐसा मै न्यायालय से अनुरोध किया हूँ और मुझे पुर्ण विस्वास है हमें न्याय जरुर मिलेगा | हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag
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