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दुश्मन ने पैंठ बना ली मेरे घर में

दुश्मन ने पैंठ बना ली मेरे घर में

अपनों ने सैंध लगायी मेरे घर में।
हार जीत में इससे ज्यादा क्या रखा,
घर के मुखिया गैर हुए मेरे घर में।
अब तो बच्चे आँख दिखाते प्रश्न पूछते,
इज्जत अपनी लगी दांव पर मेरे घर में।
बने हुए हैं मुखिया घर के सब कहते हैं,
अपनी इज्जत बचा रहे हैं, मेरे घर में।
जिसका कोई वुजूद नहीं था मेरे घर में,
सब उसकी ही सलाह मानते मेरे घर में।

अ कीर्ति वर्द्धन
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