शैशव के फूलों को मुस्कुराने दो।।
जिनके ओठों पर है सचमुच की दुनिया,भले हमे लगे मात्र पानी की बुनियाँ
अनसिखुए गीतों को गुनगगुनाने दो। ।
शैशव के फूलों को मुस्कराने दो।।
आगामी कल के है तारे ये धरती के,
भाग्य बदलने वाले होंगे ये परती के,
अपनी मेधा को बस चमकाने दो।।
शैशव के फूलों को मुस्काने दो।।
इन्हें ं नहीं छूने पायें कुत्सित कर्म,
मानवता का पुनीत धारण कर धर्म,
जीवन -जग को प्रसन्न स्वर्ग बनाने दो।।
शैशव के फूलों को मुस्कुराने दो।।
कौन मित्र कौन शत्रु, जानते नहीं,
सब इनके अपने, पर मानते नहीं,
अपने मन का उत्सव तो मनाने दो।।
शैशव के फूलों को मुस्कुराने दो।।
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डॉ रामक्ष्ण
संज्ञायन, विष्णु मार्ग, करसीलीगया, बिहार
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