कान में आके मौसम खबर कहि गइल (भोजपुरी गजल)
मार्कण्डेय शारदेयकान में आके मौसम खबर कहि गइल ।
आँखि अइसन भिंजल जे भिंजल रहि गइल ॥
अब बचल का जे सन्तोष जेपर रहो ,
आग के बाग पर एतरे लहि गइल ।
ऊ पखेरू कहाँ जे सुनब ऊ चहक ,
हमरा खातिर जमाना जहर महि गइल।
सिर्फ चलनी से पानी भरल बात बा ,
बान के सेज पर सूति के सहि गइल ।
‘का समाचार बा ‘ई न पूछीं कबो ,
बाढ़ि आइल समाचार मरि-बहि गइल ।
राँड लेखा उमिर काट ही के पड़ी ,काल्हु के राजगढ़ एतरे ढहि गइल ।
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