आम
जितना प्यारा राम है ,उतना प्यारा आम है ।
चटनी व अंचार बनाओ ,
आता वह हर काम है ।।
अमिया है चटनी बनाओ ,
या बनाओ तुम खटाई ।
या तुम खटमिट्ठी बनाओ ,
सुन्दर स्वाद बढ़ जाई ।।
बड़ा हुआ अंचार बनाओ ,
खाओ अंचार चटक मटक ।
पके आम मधुर रस पाओ ,
खा लो आम ललक ललक ।।
कच्चा आम पका आम ,
खरीदो आम दे दो दाम ।
कच्चे खाओ तो है राम
पक जाए तो राम ही राम ।।
आम्रोद्यान धाम बन जाता ,
बगीचेवाला राम बन जाता ।
लेकर जाते बगीचे में पैसे ,
नकद नकद काम बन जाता ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )बिहार ।
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag
0 टिप्पणियाँ
दिव्य रश्मि की खबरों को प्राप्त करने के लिए हमारे खबरों को लाइक ओर पोर्टल को सब्सक्राइब करना ना भूले| दिव्य रश्मि समाचार यूट्यूब पर हमारे चैनल Divya Rashmi News को लाईक करें |
खबरों के लिए एवं जुड़ने के लिए सम्पर्क करें contact@divyarashmi.com