जुलाई 2023 के कुछ महत्वपूर्ण व्रत और त्योहार
आमतौर पर हिंदी और अंग्रेजी महीना 30 दिनों का होता है। किंतु अधिक मास लग जाने के कारण हिंदू पंचांग के अनुसार कोई एक महीना 30 दिनों की जगह 60 दिनों का हो जाता है। इस वर्ष अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 2023 के जुलाई और अगस्त महीने में हिंदू पंचांग के अनुसार एक अधिक मास को जोड़ लें तो 2 महीने का सावन होगा। इस प्रकार इस वर्ष सावन महीने में अधिक मास लग रहा है। 4 जुलाई 2023 से लेकर 31 अगस्त 2023 तक सावन का महीना होगा। जिसमें 4 जुलाई से 17 जुलाई तक शुद्ध सावन माह का कृष्ण पक्ष होगा उसके पश्चात 18 जुलाई 2023 से 16 अगस्त 2023 तक अधिक सावन मास होगा। जिसे मलमास के नाम से भी जाना जाता है। पुनः उसके बाद 17 जुलाई 2017जुलाई 2023 के कुछ महत्वपूर्ण व्रत और त्योहार लेखक रवि शेखर सिन्हा और प्राचार्य मनमोहन पूर्व आचार्य मनमोहन ज्योतिष मार्तंड एवं जन्म कुंडली विशेषज्ञ आमतौर पर हिंदी और अंग्रेजी महीने 30 दिनों का होता है किंतु अधिक मास लग जाने के कारण हिंदू पंचांग के अनुसार कोई एक महीना 30 दिनों की जगह 60 दिनों का हो जाता है इस वर्ष अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 2023 के जुलाई और अगस्त महीने में हिंदू पंचांग के अनुसार एक अधिक मास को जोड़ लें तो 2 महीने का सावन होगा इस प्रकार इस वर्ष सावन महीने में अधिक मास लग रहा है 4 जुलाई 2023 से लेकर 31 अगस्त 2023 तक सावन का महीना होगा जिसमें 4 जुलाई से 17 जुलाई तक शुद्ध सावन माह का कृष्ण पक्ष होगा। उसके पश्चात 18 जुलाई 2023 से 16 अगस्त 2023 तक अधिक सावन मास होगा। जिसे मलमास के नाम से भी जाना जाता है। पुनः उसके बाद 17 जुलाई 2023 से 31 अगस्त 2023 तक शुद्ध सावन शुक्ल पक्ष होगा।
श्रावण मास में प्रत्येक व्यक्ति को रुद्राभिषेक अवश्य करना चाहिए।
अधिक मास को अर्थात मलमास को पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है। पुरुषोत्तम मास में भजन कीर्तन, दान पुण्य और भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व होता है।
सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित होता है। इस महीने में पूरे संसार में भगवान शिव की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। देवशयनी एकादशी से लेकर देवोत्थान एकादशी तक अर्थात् 4 महीने तक भगवान श्री हरि विष्णु योग निद्रा में होते हैं। जिसके कारण सृष्टि का कार्यभार शिव परिवार संभालते हैं। जिसमें सावन का महीना भगवान शिव संचालित करते हैं। भाद्रपद का महीना भगवान श्री गणेश संचालित करते हैं। आश्विन का महीना मां भगवती जगदंबा संचालित करती हैं और कार्तिक का महीना भगवान कार्तिकेय संचालित करते हैं।
देवोत्थान एकादशी से भगवान श्री हरि विष्णु योग निद्रा पूर्ण करके पुनः सृष्टि का कार्य संचालित करते हैं। सावन माह और सावन माह के अधिपति भगवान शिव को नमन करते हुए, प्रणाम करते हुए आइए सावन अर्थात् जुलाई 2023 के महत्वपूर्ण व्रत और त्योहारों के बारे में जानते हैं।
1 जुलाई शनिवार को शनि प्रदोष व्रत होगा।
2 जुलाई रविवार को व्रत की पूर्णिमा होगी। आज के दिन पूर्णिमा का व्रत किया जाएगा। आज अंबिका व्रत भी होगा।
3 जुलाई सोमवार को स्नान दान की पूर्णिमा होगी। आषाढ़ की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के रूप में भी मनाया जाता है। इसे व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जानते हैं। आज के दिन सनातन धर्म में प्रत्येक व्यक्ति अपने अपने गुरुओं को स्मरण करते हुए उनका विशेष सम्मान करते हुए यथाशक्ति गुरुओं को दान दक्षिणा समर्पित करता है।
आज के दिन को गुरु दीक्षा लेने के लिए सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। किसी भी प्रकार के मंत्र की साधना उपासना या ज्ञान विज्ञान जैसी कोई भी विद्या आरंभ करने के लिए आज का दिन श्रेष्ठ दिन माना जाता है। गुरु के रूप में ब्रह्मा, विष्णु, महेश की विशेष पूजा की जाती है। आज के दिन कच्चे घरों में रहने वाले लोग गाय के गोबर से अपने अपने घर को गोंठ देते हैं अर्थात् घर में गोबर का पोछा लगा देते हैं तो पूरे वर्ष सांपों का भय समाप्त हो जाता है। अर्थात् उस घर में पूरे वर्ष तक कहीं भी सांप से किसी प्रकार का कोई भय नहीं होता।
4 जुलाई मंगलवार से सावन मास आरंभ होगा।
4 जुलाई से 17 जुलाई तक शुद्ध सावन कृष्ण पक्ष होगा।
6 जुलाई गुरुवार को संकष्टि श्री गणेश चतुर्थी का व्रत होगा।
9 जुलाई रविवार को शीतला सप्तमी होगा। आज भानु सप्तमी का व्रत भी होगा। रविवार के दिन पड़ने वाले सप्तमी तिथि को भानु सप्तमी के रूप में जाना जाता है। आज के दिन को अर्थात् इस दिन को सूर्य ग्रहण के बराबर मानकर स्नान दान इत्यादि किया जाता है।
10 जुलाई सोमवार को श्रावण मास का पहला सोमवार व्रत होगा।
11 जुलाई मंगलवार को पूरे दिन रात सर्वार्थ सिद्धि अमृत योग बनता है। इस योग में किया जाने वाले प्रत्येक कार्य सफल होता है। 13 जुलाई गुरुवार को कामदा एकादशी का व्रत गृहस्थ और वैष्णव दोनों के लिए सर्वमान्य होगा।
14 जुलाई शुक्रवार को प्रदोष व्रत होगा। आज पूरा दिन और आधी रात तक यमघंट योग बनता है। अतः इस योग में लंबी यात्रा वर्जित होती है।
15 जुलाई शनिवार को मासिक महाशिवरात्रि का व्रत होगा। आज शनि प्रदोष व्रत भी होगा।
17 जुलाई सोमवार को स्नान दान श्राद्ध की अमावस्या होगी। आज श्रावण मास का सोमवार का दूसरा व्रत होगा।
आज सोमवती अमावस्या का व्रत होगा। आज की अमावस्या को हरियाली अमावस्या के रूप में भी जाना जाता है। सुहागन स्त्रियां अपने पति के दीर्घायु की कामना करते हुए सोमवती अमावस्या का व्रत रखकर पीपल वृक्ष की विशेष पूजा अर्चना और पीपल वृक्ष की 108 परिक्रमा करती हैं।
आज सूर्य संक्रांति भी है। भगवान सूर्य आज कर्क राशि में प्रवेश कर जाएंगे। सूर्य के कर्क राशि में प्रवेश करते ही वर्षा ऋतु प्रारंभ हो जाता है। आज से वर्षा ऋतु प्रारंभ हो जाएगा। अर्थात् पूजा-पाठ संकल्प इत्यादि में वर्षा ऋतु का नाम स्मरण किया जाएगा।
18 जुलाई मंगलवार से लेकर 16 अगस्त बुधवार तक मलमास होगा। इसे अधिक मास के नाम से भी जाना जाता है। इस मास को पुरुषोत्तम मास के नाम से भी जाना जाता है।
19 जुलाई बुधवार को चंद्र दर्शन किया जाएगा।
20 जुलाई गुरुवार को इस्लाम संप्रदाय का मुहर्रम का महीना आरंभ होगा। इस समय इस्लामी हिजरी सन् 1445 चल रहा है। 21 जुलाई शुक्रवार को वैनायकी श्री गणेश चतुर्थी का व्रत होगा। 24 जुलाई सोमवार को श्रावण सोमवार का व्रत होगा। मलमास में पड़ने वाले सावन मास के सोमवार को अति दुर्लभ सोमवार व्रत कहा जाता है। आज के दिन उपवास रखकर प्रदोष काल में माता पार्वती और भगवान शिव की विशेष पूजा अर्चना की जाती है।
29 जुलाई शनिवार को पुरुषोत्तम एकादशी का व्रत गृहस्थ और वैष्णव दोनों के लिए सर्वमान्य होगा।
30 जुलाई रविवार को प्रदोष व्रत होगा।
31 जुलाई सोमवार को सावन सोमवार का व्रत होगा।
विशेष टिप्पणी:
6 जुलाई गुरुवार को रात 2:50 पर भगवान सूर्य आद्रा नक्षत्र को छोड़कर देव गुरु बृहस्पति के पुनर्वसु नक्षत्र में प्रवेश कर जाएंगे। जिसके कारण आसमान में बादल भरे रहेंगे और सर्वत्र बहुत अच्छी बरसात होगी। साथ ही साथ मंगल और शुक्र की युति के कारण सर्वत्र बहुत अच्छी वृष्टि होने के संकेत मिल रहे हैं। 17 जुलाई सोमवार को भगवान सूर्य मिथुन राशि को छोड़कर चंद्रमा की कर्क राशि में दोपहर 3:53 पर प्रवेश करेंगे। इसे कर्क संक्रांति के नाम से भी जाना जाता है और इसी कर्क संक्रांति से भगवान सूर्य दक्षिणायन हो जाते हैं। ऐसी मान्यता है कि दक्षिणायन सूर्य होने पर सारे शुभ कार्य वर्जित हो जाते हैं। अब 15 जनवरी 2024 को भगवान सूर्य जब मकर राशि में प्रवेश करेंगे तब उत्तरायण होंगे। कर्क राशि की सूर्य संक्रांति वर्षा के लिए अत्यंत शुभ मानी जाती है। 12 जुलाई के आसपास भारी वर्षा होने की संभावना है। कर्क संक्रांति में दैनिक उपभोग की वस्तुएं सुगम एवं सस्ती हो जाती हैं।
सोमवार के दिन चंद्रमा की कर्क राशि में सूर्य के संक्रांति और बृहस्पति के पुनर्वसु नक्षत्र में सूर्य का प्रवेश अत्यंत शुभ फल कारक होता है।
इस वर्ष बहुत अच्छी फसल होने की संभावना बन रही है। सावन मास में मलमास पड़ जाने के कारण शिव भक्तों के लिए विशेष लाभकारी हो जाता है। भगवान शिव की आराधना के लिए यह महीना मणिकांचन योग उपस्थित कर देता है। बहुत से शिव भक्त तो सावन महीने में मलमास पड़ने की प्रतीक्षा करते रहते हैं।
18 जुलाई से 9 अगस्त के बीच अधिक सावन शुक्ल पक्ष में तीन मंगलवार होने के कारण यह पक्ष थोड़ा कष्ट कारक भी होगा। इसमें दैनिक उपयोग में आने वाली वस्तुएं जैसे दूध, दही, पनीर, फल इत्यादि के भाव बढ़ जाएंगे। मनुष्यों में बुखार आदि से संबंधित कोई बीमारी फैल सकती है।
भगवान शिव की आराधना पूजा करने से सारे कष्ट दूर होंगे।
इति शुभमस्तु !!
कल्याणमस्तु !!
नमः शिवाय!!
लेखक: रवि शेखर सिन्हा उर्फ आचार्य मनमोहन, ज्योतिष मार्तंड एवं जन्म कुंडली विशेषज्ञ।
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