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महाभारत

महाभारत

एक बार फिर से अभिमन्यु वध हो गया।
युधिष्ठर नैतिकता की दुहाई देते रहे
द्रोपदी का फिर से चीर हरण हो गया।
अनैतिकता के सामने
नैतिकता का ध्वज
फिर तार तार हो गया।
भीष्म के धवल वस्त्र फिर भी न मैले हो सके,
सिंहासन की निष्ठा ने उनको फिर बचा लिया।
धृतराष्ट्र अंधे हैं, गांधारी ने पट्टी बाँधी है,
गुरु द्रोण नि:शब्द हैं, सत्ता से उनकी यारी है।
संजय नीति के ज्ञाता हैं, उनको निष्ठा प्यारी है,
कर्ण वीर सहनशील बने है, दुर्योधन से यारी है।
चक्र व्यूह भेदन के, सब नियम बदल गए,
अर्जुन और भीम नियमों पर चलते रहे।
दुर्योधन ने नियमों को नया रंग दे दिया,
अभिमन्यु का वध कर खेद प्रकट कर दिया।
शकुनी की कुटिल चालों से
सभी पांडव त्रस्त हैं,
कृष्ण की चालाकियां भी
अब मानो नि:शस्त्र है।

अ कीर्तिवर्धन
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