बेटियों से है एक विनम्र निवेदन ,
मातपिता भाई से रखें पूरी आस ।जो भी करेंगे तेरे हित ही करेंगे ,
पूरी पूरी करना इन पर विश्वास ।।
आज वैसा कोई भी मजनूं नहीं ,
जो प्यार से कर सकता है प्यार ।
आज के प्यार में तो रहस्य छुपा ,
केवल बनाना सबसे का शिकार।।
प्यार तो होता वही सच्चा प्यारा ,
जिसको होता प्यार से ही प्यार ।
प्यार नहीं होता लड़की लड़के में ,
प्यार करता रूप गुण से प्यार ।।
रूप का प्यार तो भीत है रेत का ,
हल्की सी भी आंधी तुफां आई ।
आंधी के केवल एक झोंके से ,
रिश्ते होते अतिशीघ्र धराशाई ।।
प्यार में बेवफाई रेप औ हत्या ,
खुलेयाम आज तो दिख रहे हैं ।
हो रही कत्ल बेटियों की बहुत ,
मातापिता भाई भी चीख रहे हैं ।।
प्यार तो होता अपरिचित से ही ,
मातपिता भाई से देता है घृणा ।
प्रेमी तो पहले प्यारा ही है होता ,
फिर मुश्किल ही जीवन जीना ।।
अपरिचित प्रेमी संग है भागती ,
मातपिता का प्यार जाता छिना ।
प्रेम में बेवफाई रेप हत्या होता ,
या मुश्किल होता जीवन जीना ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )बिहार ।
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